विवाह पंचमी: मंगल आजु जनकपुर अति मन भावन हे, आहे मंगल दूल्हा-दुल्हिन परम सुहावन हे...



जनकपुरधाम (नेपाल) संवाद सहयोगी। श्री राम जानकी विवाहोत्सव के उल्लास में सोमवार को पूरा जनकपुरधाम डूबा रहा। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं, साधु-संतों का जत्था बारहबीघा मैदान की ओर जाते दिख रहे थे। जहां उनके अराध्य जगत जननी जानकी व मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का विवाहोत्सव का आयोजन होना था। भगवान राम की मूर्ति को राम मंदिर से साज-सज्जा और झांकी के साथ विशेष रूप से बने सिंहासन डोला पर बैठाकर ऐतिहासिक बारहबीघा मैदान तक ले जाया गया। इसी तरह जानकी मंदिर से माता सीता की मूर्ति को विशेष रूप से सुसज्जित डोले पर ले जाया गया।

अयोध्या से आई मंडली द्वारा विवाहोत्सव लीला को प्रदर्शित किया गया। गाजे-बाजे के साथ श्री राम मंदिर से दूल्हा बने श्री राम की बरात निकली। बरातियों पर जगह-जगह फूलों की वर्षा की गई। जानकी मंदिर परिसर में बने मंच पर दूल्हा बने श्री राम का परीक्षण के दौरान महिलाओं ने चलअ सखी हिलअ मिलअ, दूल्हा बनल श्री राम हे, रघुवर के नयना रसीला हे चलु परीक्षण करे सखियां, मिथिला परंपरा को साकार करता दिख रहा था। परीक्षण के बाद दूल्हा श्री राम व दुल्हन सीता को जानकी मंदिर परिसर लाया गया। जहां मिथिला परंपरा के अनुसार, विधि विधान से विवाह हुआ। इस दौरान दुल्हा- दुल्हन पक्ष के बीच हंसी-ठिठोली होती रही। महिलाओं द्वारा विवाह गीत राम जी से पूछे जनकपुर के नारी, बता दअ बबुआ लोवा देत गारी, बता द बबुआ तथा मंगल आज जनकपुर मन भावन हे..., से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान होता रहा।
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मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रौशन दास वैष्णव राजा जनक की भूमिका में तथा जनकपुर धाम राम मंदिर के महंत राम गिरी दशरथ की भूमिका में थे। वही निर्मला बहन सुनयना की भूमिका में थीं। अयोध्या से आई रामलीला के कलाकार सीता और उनकी सखियों की भूमिका में थीं। इसमें स्थानीय सांसद जुली महतो, विधायक दीपेंद्र ठाकुर सहित कई गण्यमान्य लोग शामिल हुए। विवाहोत्सव को लेकर भारत के उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात सहित विभिन्न प्रदेशों से पचास से अधिक संख्या में पर्यटक सीतामढ़ी के रास्ते जनकपुर धाम पहुंचे थे। मिथिलांचल की परंपरा के अनुसार, देर रात तक भगवान श्री राम विवाह संपन्न हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम व आदिशक्ति माता सीता के विवाह उत्सव की धूम रही। मां जानकी मंदिर व श्री राम मंदिर के महंत ने एक दूसरे के साथ समधी मिलन किया। वर व वधू पक्ष की ओर से परंपराओं के तहत मिथिला की गाली गीत, हंसी -मजाक, ठिठोली व विवाह के गीत से लोग भाव विभोर होते रहे।
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कृत्रिम लाइट से दुल्हन की तरह नौलखा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध माता जानकी मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। मंदिर की खूबसूरती आकर्षण का केंद्र बनी थी। बड़े-बड़े पंडाल व तोरण द्वार से शहर पट गया था। शहर के सभी होटल, धर्मशाला व विश्राम आश्रम साधु-संतों व पर्यटको से भरे पड़े हैं। नेपाल व भारत के अलावा विभिन्न देशों व प्रदेश से आए लोगों की अपार भीड़ से शहर छोटा पड़ गया। पूरे शहर में राम जानकी की गूंज रही। धार्मिक मान्यता है कि देवता के मानवीकरण की भावना से जुड़े विवाह उत्सव में शामिल होने से मनोवांछित फल और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी आस्था के साथ सीता-राम विवाह समारोह में शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु जनकपुरधाम पहुंचे हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।

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