Chhapra Hooch Tragedy: जहरीली शराब से मौतों पर हर ओर मातम, घरों में मची चीख-पुकार की कुछ यूं है दर्दनाक हकीकत



जागरण टीम, सारण। गांवों में पसरे सन्नाटे को रह-रहकर चीरता क्रंदन। आंसू टपक रहे हैं, इसे छिपाने का भी प्रयास। मन में एक भय है, कहीं पुलिस प्रशासन वाले घर में हुई मृत्यु का कारण न पूछ लें। मामला शराब से जुड़ा है। जाने वाला तो चला गया, अब परिवार के लोग न फंस जाएं। सारण के तरैया, मशरक, डोइला, इसुआपुर आदि गांवों में जहरीली शराब मृत्यु बनकर नाच रही है। ग्रामीण सहमे हुए हैं।
राजनीति समाज को जाति-धर्म में भले ही बांटती रही हो, पर यहां आकर देखें तो सारी सीमाएं टूटती दिखती हैं। मरने वालों में सभी शामिल हैं। कई चिताएं ठंडी हो चुकी हैं, पर श्मशान में बिखरी राख व्यवस्था पर जैसे सवाल उठा रही हो। शराबबंदी में भी पीने की तड़प मृत्यु को पास बुला लाई, पर शराब आई कैसे? वह भी जहरीली! जिसे रोकने में पूरी व्यवस्था जुटी हो, वहां खुलेआम इसका धंधा चल कैसे रहा था?

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प्रथमदृष्ट्या यह बात तो सामने आ ही चुकी है कि थाने में जब्त स्पिरिट बाहर लाई गई। एक चौकीदार और उसका भाई भी जहरीली शराब का शिकार हुआ है। इसी से निचले स्तर तक के खेल को समझा जा सकता है। जिन पर इसे रोकने की जिम्मेवारी, वे सबके सब इसी में लिप्त। दैनिक जागराण की टीम ने जब गांवों का हाल जाना तो झकझोर देने वाले दृश्य थे। कहीं सूनी आंखों से आसमान निहारता बच्चा, कहीं गोद में बच्ची को उठाए मां। जाने वाले से ज्यादा चिंता यह कि अब उस परिवार का भविष्य क्या होगा।
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डुमरी छपिया गांव के बिनटोली में गुरुवार को वीरेन्द्र राम और नथुनी राम का निधन हो गया। वीरेन्द्र की पत्नी चिंता देवी बताती हैं कि पति कहीं बाहर गए थे। घर आने के बाद सिर में दर्द हो रहा था और आंखों की रोशनी गायब थी। वहां से रेफरल अस्पताल ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद छपरा रेफर कर दिया गया। रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। नथुनी राम के पुत्र भगवान राम ने बताया कि पिता के सिर में अचानक तेज दर्द हुआ तो छपरा ले जा रहे थे, उन्होंने भी रास्ते में दम तोड़ दिया। स्वजनों ने दाह-संस्कार कर दिया।
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उसी गांव में दो दिन पूर्व तारक नाथ शर्मा का भी ऐसी ही परिस्थिति में निधन हो गया। शुक्रवार को तरैया के मुकेश कुमार सिंह को आंख से दिखाई नहीं देने की शिकायत पर स्वजनों ने रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से छपरा रेफर कर दिया गया। तरैया थाना के सीमावर्ती क्षेत्र मशरक, डोइला, इसुआपुर समेत अन्य स्थानों पर जहरीली शराब से मृत्यु होती चली जा रही है। संख्या रह-रहकर बढ़ रही है। अभी और कितना शिकार होंगे, कह पाना मुश्किल है। आधिकारिक पुष्टि तो नहीं है, पर ग्रामीण यह संख्या सौ के आसपास होने की बात कह रहे हैं।
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कतालपुर गांव के 60 वर्षीय शिवदयाल राउत और उनकी 55 वर्षीय पत्‍नी गौरी देवी की मृत्‍यु जहरीली शराब से हो गई। वे शराब के आपूर्तिकर्ता भी थे। जब लोगों की शराब से हालत खराब होने लगीलगी, तो उन लोगों ने जांचने के लिए पी ली कि उसमें वाइर्क जहर है या नहीं। दोनों चल बसे।
वीरेंद्र राम की पत्‍नी चिंता देवी को बेटी के ब्‍याह की चिंता खाए जा री है। दहाड़ मारकर रो रही है। तीन पुत्र बृजेश, नीतेश, संदेश व दो पुत्रियां कोमल व स्‍नेहर की जिम्‍मेवारी का निर्वहन कैसे कर पाएंगी। उनकी दहाड़ झोपड़ी में ही सिमट गई है। सांत्‍वना देने भी कौन आए, जहां हर ओर ऐसा ही दृश्‍य हो। यहां गम है, आक्रोश है, सिस्‍टम को कोसते लोग हैं, सन्‍नाटा है, भय है। शराबबंदी में भी मकड़जाल की तरह नेटवर्क बना लेने वाले माफिया, तस्‍कर और उन्‍हें संरक्षण देने वालों की लालची प्रवृत्ति ने कितने ही जीवन को लील लिया। 
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