Bihar Nikay Chunav : वोट के लिए नापी 2400 KM की दूरी, ट्रेन थी लेट तो नहीं किया वेट, सीधे पकड़ ली स्पाइसजेट



जमुई, अरविंद कुमार सिंह। मतदान की अहमियत क्या होती है इसे नगर परिषद जमुई के एक मतदाता दंपती ने दिखाया है। लगमा निवासी उपेंद्र राय के पुत्र शैलेंद्र कुमार राय ने नगर निकाय चुनाव में अपनी भूमिका निभाने के लिए 2400 किलोमीटर की दूरी नापी। खास बात यह थी कि जब ट्रेन लेट हुई तो उन्होंने सीधे स्पाइसजेट की फ्लाइट पकड़ ली और मतदान के लिए जमुई आ गए।
हालांकि उन्होंने अंतिम क्षणों में अपना वोट डाला। दरअसल, ट्रेन के समय में जब तय शेड्यूल से ज्यादा विलंब हुआ तो दंपती ने स्पाइसजेट विमान की सेवा ली। विमान ने भी भोपाल का चक्कर लगा दिया तो जैसे-तैसे आखिरी क्षण में मतदान केंद्र पर पहुंचकर मतदान कर पाने में दंपती को सफलता मिली। अब उनके इस प्रयास की काफी चर्चा हो रही है। सभी दंपती की सराहना कर रहे हैं।

दरअसल, शैलेंद्र गुजरात के कच्छ स्थित मोनो स्टील इंडिया कंपनी में इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। उनकी पत्नी मधु देवी बच्चों की पढ़ाई के लिए दिल्ली में रहती हैं। मतदान की तारीख तय हुई तो शैलेंद्र राय ने कंपनी में छुट्टी लेकर जमुई आने का कार्यक्रम तय किया। 
शैलेंद्र को तय कार्यक्रम के हिसाब से आला हजरत एक्सप्रेस से नई दिल्ली पहुंचना था। यहां से पत्नी मधु को साथ लेकर पूर्वा एक्सप्रेस से अट्ठारह दिसंबर अर्थात मतदान के दिन जमुई पहुंचना था। परंतु परिस्थितियां उनके विपरीत हो गईं। आला हजरत एक्सप्रेस रेवाड़ी में ही छह घंटे लेट हो गई।
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इसके बाद दिल्ली से पूर्वा एक्सप्रेस का शेड्यूल छूटना तय हो गया। ऐसे में दंपती की हसरत धूमिल होती दिखने लगी। अंत में उन्होंने विमान सेवा लेने का फैसला किया और ऑनलाइन स्पाइसजेट विमान का टिकट ले लिया। सुबह 7:05 में नई दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट से विमान ने उड़ान भरी।
लेकिन पटना में लैंडिंग नहीं मिलने के कारण विमान को भोपाल का चक्कर लगाना पड़ा। इस बीच भोपाल में ईंधन लेने के झंझट का भी सामना करना पड़ा। आखिर में तकरीबन 12:00 बजे विमान की लैंडिंग पटना में हुई। इसके बाद उन्होंने अपने मौसी के लड़के की मदद ली। उनके निजी वाहन से वे सीधे जमुई के लिए रवाना हुए और जैसे-तैसे तकरीबन 4 बजे लगमा स्थित मतदान केंद्र पर दस्तक दी। यहां उन्होंने पहले मतदान किया, फिर जलपान।

शैलेंद्र कहते हैं कि वोट देने के बाद अब उन्हें संतोष है कि उनका प्रयास सफल रहा और नगर सरकार के गठन में उनकी भागीदारी भी सुनिश्चित हो गई। उनका यह प्रयास लगमा सहित इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। चर्चा हो भी क्यों नहीं, अभी मतदान की तिथि घोषित होने से दो-तीन दिन पहले (तकरीबन 15 दिन)  ही शैलेंद्र गांव से कच्छ गए थे।

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