Darbhanga Pollution: देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना दरभंगा, दिल्ली से भी जहरीली हुई हवा; AQI 400 के पार



दरभंगा, संवाद सहयोगी। बिहार के शहरों की हवा लगातार खतरनाक हो रही है। मुख्य शहरों में वायु प्रदूषण का आलम यह रहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लगातार लाल निशान पर है। रविवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक में दरभंगा प्रदूषण लेबल 446 के साथ देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। वहीं, 179 शहरों की सूची में देश का सबसे प्रदूषित शहर बेगूसराय (474) रहा। वायु की यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर बताई जा रही है। इस कारण लोग विभिन्न रोगों के शिकार हो रहे हैं।

जहरीली हवा से बच्चों को सांस की बीमारी हो रही है। वहीं बड़े लोगों को फेफड़े में संक्रमण हो रहा है और वो हृदय रोग के भी शिकार हो रहे हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं की भी परेशानी बढ़ रही है। रिपोर्ट में इसे गंभीर दिखाया गया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह स्थिति दरभंगा के लिए बेहद चिंताजनक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए शीघ्र कारगर उपाय नहीं किए गए तो आम आदमी ज्यादा संख्या में प्रदूषण जनित रोगों का शिकार होने लगेगा।
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वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) एक नंबर होता है। इसके जरिए वैज्ञानिक विधि से हवा की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है। साथ ही इसके जरिए भविष्य में होनेवाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है। एक्यूआई संबंधित इलाके में मिलने वाले प्रदूषण के कारकों के आधार पर अलग-अलग होता है। राष्ट्रीय स्तर पर मिनिस्ट्री आफ एनवायरमेंट फारेस्ट व क्लाइमेंट चेंज ने यह व्यवस्था लागू की है। इसके लिए विशेष प्रयोगशाला लांच की गई है। इसे एक संख्या, एक रंग व एक विवरण के आधार पर लांच किया गया है। प्रदूषण की गंभीरता को समझाने के लिए रंगों को भी शामिल किया गया है।

शहर में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के कारण अस्पतालों की ओपीडी में सांस की बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डीएमसीएच समेत अन्य निजी अस्पतालों की ओपीडी में इन दिनों सांस के मरीजों की संख्या पहले से लगभग दोगुनी हो गई है। इनमें बुजुर्ग मरीजों की संख्या अधिक है।

डीएमसीएच की पूर्व सीनियर रेजिडेंट एवं ईएनटी सर्जन डा. मोना सरावगी ने बताया कि इन दिनों बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण एलर्जी के मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है। साइनस, अस्थमा और छाती में संक्रमण जैसे मरीजों की संख्या पहले से बढ़ी है। इन मरीजों को सांस लेने में कठिनाई, खांसी, बुखार, कफ और नींद न आने जैसी परेशानियां हैं। ओपीडी में पिछले कई दिनों से लगातार सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन जैसी शिकायतों के आधा दर्जन मरीज आ रहे हैं। वहीं, कुछ बुजुर्ग मरीज छाती में घरघराहट, सांस फूलने और अस्थमा की बीमारी के साथ आ रहे हैं।

नगर निगम प्रशासन ने प्रदूषण को लेकर शहर में रात्रिकालीन सफाई शुरू कर दी है। नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्ड में साफ-सफाई कार्य को लेकर जमादार और जोन प्रभारी को आदेश दिया गया है। शहर में दिन के समय कचड़ा उठाव करने में कठिनाई के बाद यह फैसला किया गया। बता दें कि शहर में कचड़ा उठाव प्रतिदिन डोर टू डोर नही होने के कारण अधिकांश वार्डों में गंदगी की ढेर लग जाती है। इसकी साफ-सफाई मे लापरवाही बरती जा रही थी।

नगर प्रबंधक ने बताया कि शहर के टावर चौक,हसनचौक चौक, बस स्टैंड, बेलामोड, अस्पताल रोड, बेता चौक, लहेरियासराय के कई स्थानों पर रात्रिकालीन समय आठ बजे के बाद से सफाई कार्य करने का आदेश सभी सफाई मजदूरों को दिया गया है। इधर नगर आयुक्त कुमार गौरव ने बताया की दिन में शहर की साफ-सफाई ठीक से नही हो पाती थी। विभिन्न जगहों पर कचड़ा डंप कर दिया जाता था। अब इसमें सुधार देखने को मिलेगा।
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