Chhapra: आइजी रैंक के अधिकारी के साथ सारण पहुंची मानवाधिकार आयोग की 12 सदस्यीय टीम, ग्रुप बनाकर कर रही पूछताछ



छपरा/मशरक, जागरण टीम। सारण में जहरीली शराब से 74 लोगों की मौत एवं दर्जन भर से अधिक लोगों के बीमार होने के मामले में जांच के लिए आइजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में राष्ट्रीय मानवाधिकार की 12 सदस्य टीम सारण जिला में पहुंची है। टीम के सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों में ग्रुप बनाकर मामले की तहकीकात कर रहे हैं। चार वरीय अधिकारी एवं चार जूनियर अधिकारी सीमा सुरक्षा बल के साथ मशरक के विभिन्न क्षेत्रों में मृत व बीमार लोगों से मिलकर जानकारी लिए। वहीं मढ़ौरा एवं अमनौर में चार सदस्य टीम ने घटना के बाबत लोगों से जानकारी ली है। टीम में शामिल अधिकारी राजस्थान, यूपी, दिल्ली आदि जगहों के हैं।

इनके द्वारा पूरी पारदर्शिता के साथ पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। गांव के लोगों के बीच स्वजनों से पूरे घटना की जानकारी ली जा रही है। जानकारी लेने के बाद मानवाधिकार आयोग की टीम उनके बयान को नोट करके फिर उन्हें सुना रही है ताकि किसी प्रकार का कोई कंफ्यूजन नहीं रहे। पूरी बातों को सुनने के बाद परिवार के लोगों, जनप्रतिनिधि एवं अन्य ग्रामीणों का हस्ताक्षर भी उस पर लिया जा रहा है, ताकि रिपोर्ट को पूरी पारदर्शिता के साथ बनाई जा सके।
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टीम के सदस्य कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं, लेकिन वे इतना जरूर कह रहे हैं कि जांच में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। जो हकीकत है, वही रिपोर्ट दी जाएगी। टीम में एक वरीय महिला अधिकारी भी शामिल है। टीम के चार वरीय एवं चार जूनियर अधिकारी सीमा सुरक्षा बल के साथ सबसे पहले मशरक प्रखंड के बहरौली गांव में पहुंचे। वहां 14 लोगों की मौत हुई है। इस घटना का केंद्र बिंदु मशरक को ही माना जा रहा है, क्योंकि वहां पर अब तक 44 लोगों ने अपनी जान गवाई है। जांच का पूरा फोकस मशरक पर ही है। बहरौली गांव में 14 मृतको के स्वजन एवं दो आंख की रोशनी गवाएं लोगों से जानकारी ली गई। टीम के साथ बहरौली पंचायत के मुखिया अजीत सिंह पूरे दिन रहे और जांच में मदद किये।
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जहरीली शराब से अपनी आंख की रोशनी गवां चुके बहरौली गांव के शंकर साह में मानवाधिकार आयोग के समक्ष बताया कि वह दुकान बंद कर अपने घर पर आए। इसके बाद वे मशरक बाजार की ओर चले गए। वहीं पर शराब पिए। शराब पीने के बाद अपनी चाय की दुकान चलाएं। दुकान चलाने के दौरान उनके मोबाइल पर फोन आया। फोन आने पर उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। इसके बाद उन्होंने स्थानीय डाक्टर से संपर्क किया।
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जांच के दौरान टीम के सभी सदस्य सिर्फ अपने काम पर लगे हुए थे। वे लोग जहां भी जांच के लिए जा रहे थे, वहां पर चाय व नाश्ते की बात कही जा रही थी, लेकिन कहीं पर इन लोगों ने चाय भी नहीं पिया। सभी जगहों पर जांच करने के बाद शाम में मशरक बाजार पहुंचकर टीम के सभी सदस्य नाश्ता किए। अमनौर प्रखंड के हुस्सेपुर गांव में भी टीम के सदस्यों ने विस्तार पूर्वक जांच किया।
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जहरीली शराब कांड में असामयिक काल के गाल में समाए लोगों के स्वजनों में आयोग की टीम की जांच से काफी उम्मीद जगी है। इन लोगों को उम्मीद है कि टीम द्वारा वास्तविक जानकारी केंद्र सरकार को मुहैया कराई जाएगी। इसके बाद कोई सख्त कदम उठाया जाएगा और मुआवजा भी मिल सकता है। लोगों का कहना है कि शराबबंदी के बाद भी चारों ओर खुलकर शराब की बिक्री की जा रही है।

मानवाधिकार आयोग की टीम मृत लोगों के स्वजन से कई सवाल पूछ रही है। उनके द्वारा पूछा जा रहा है कि जो शराब पीकर मरे हैं, वे क्या करते थे, कब शराब पीकर आए और स्वजनों को क्या बताएं। उनके बताने पर आपने क्या किया। उन्हें अस्पताल कैसे पहुंचाएं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में क्या सुविधा मिली। वहां से रेफर किए जाने पर प्राइवेट या सरकारी एंबुलेंस से सदर अस्पताल लेकर गए आदि आदि।





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