Chimney Blast: एक धड़, एक सिर, एक फोन और खून से सना गमछा.. पूर्वी चंपारण में चिमनी ब्लास्ट के यही निशान बाकी



रक्सौल (पूर्वी चंपारण), जागरण संवाददाता। एक धड़, एक सिर, एक मोबाइल और खून से सना गमछा.. पूर्वी चंपारण में चिमनी विस्फोट के बस कुछ ऐसे ही निशान बाकी हैं। बिहार के मोतिहारी में हुए चिमनी धमाके में रेस्क्यू ऑपरेशन शनिवार को खत्म हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक ने मुआवजे का एलान किया। शुक्रवार शाम को हुई इस दुर्घटना में अब तक 8 लोगों की मौत और 16 लोगों से ज्यादा के घायल होने की जानकारी सामने आई है। ये हादसा ऐसा था कि अब भी आठ से 10 लोगों का पता ही नहीं चल पा रहा है।

जानकारी के अनुसार, रामगढ़वा थाना क्षेत्र के नरीरगीर में ईंट भट्ठे की चिमनी में हुए विस्फोट के दूसरे दिन मलबे से शनिवार की सुबह एक मजदूर का सिर मिला। साथ ही एक मोबाइल फोन व खून से सना गमछा भी बरामद किया गया। जिला प्रशासन का मानना है कि शुक्रवार को जिस व्यक्ति का धड़ मिला था, यह उसी का सिर है। वहीं, सुबह पटना से नौ सदस्यीय एसडीआरएफ की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत अभियान शुरू किया।
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घटना के बाद से आठ-10 लोगों का पता नहीं चल रहा है। घटना पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर मृतकों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से मृतकों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई है।
प्रदेश के श्रम मंत्री डा. शमीम अहम भी पहुंचे और विभाग की ओर से मृतकों के स्वजन को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की। वहीं मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही घायलों के इलाज का खर्च भी राज्य सरकार उठाएगी।
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ईंट भट्ठे में धमाके के बाद गिरे मलबे में 12 से अधिक लोगों के दबे होने की बात सामने आई थी। मरने वालों में भट्ठे के मालिक मो. ईरशाद भी हैं। एक की पहचान नहीं हो सकी है। तीन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के रहने वाले बताए गए हैं। इस भट्ठे पर मजदूरों को रखने का काम कानपुर के ठेकेदार जगदीश ने किया था।
रामगढ़वा थाना क्षेत्र आमोदेई गांव निवासी मो. ईरशाद अपने साला पार्टनर नुरुल हक के साथ मिलकर करीब पांच वर्ष से ईंट भट्ठा चलाते थे। शुक्रवार की दोपहर करीब तीन बजे पहली बार ईंटों को पकाने के लिए कोयला डालने के बाद भट्ठे में आग लगाई गई थी।
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करीब दो घंटे बाद करीब 30 मीटर ऊंची चिमनी में ब्लास्ट हो गया। उसका ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। उसका मलबा मौकै पर मौजूद मालिकों और श्रमिकों पर आ गिरा। जिसके नीचे ये सभी दब गए। घटना की जानकारी मिलने पर प्रशासन के आला अधिकारी, रेस्क्यू टीम और एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची थी।
शनिवार की सुबह जब कोहरा हटा तब जाकर राहत और बचाव अभियान को फिर से शुरू किया जा सका। मोतिहारी श्रम अधीक्षक सत्य प्रकाश, रामगढ़वा बीडीओ मोहम्मद सज्जाद, सीओ मणिभूषण कुमार, थानाध्यक्ष इंद्रजीत पासवान घटनास्थल पर कैंप कर रहे थे। इस दौरान एसडीआरएफ की टीम को एक सिर बरामद हुआ है। वहीं घटनास्थल पर स्थानीय लोगों की भीड़ लगी रही।
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पूर्वी चंपारण की जिला सहायक खनन पदाधिकारी रागिनी कुमारी ने इस संबंध में कहा था कि घटना की सूचना मिली। हम घटनास्थल के लिए निकल गए। उक्त चिमनी विभाग से लिस्टेड है और समय-समय पर राजस्व भी जमा कराया गया है। ऐसी संभावना है कि कोयले की कीमत अधिक होने की वजह से चिमनी संचालक ने लकड़ी और टायर आदि को भी ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया होगा, जिसके कारण गैस बनने से यह दुर्घटना हुई होगी। यह सब जांच करने का जिम्मा प्रदूषण विभाग का है।
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पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने बताया था कि सात लोगों की मौत हुई। सभी के शव बरामद कर लिए गए। सभी शवों को रात में ही बोर्ड का गठन कर पोस्टमार्टम कराने का आदेश सिविल सर्जन को दिया। जो भी जिम्मेदार होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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