स्वीडन में पलेगा बिहार का धर्मराज : सड़क किनारे मिला था मासूम, इन बच्चों की भी संवरने जा रही जिंदगी



जागरण संवाददाता, बेगूसराय। 2020 में जन्म देने वाली मां ने जिस नवजात को सड़क किनारे फेंक दिया था, वह लावारिश धर्मराज अब स्वीडन के महलों में पलेगा। बेगूसराय दत्तक ग्रहण संस्थान में आवासित धर्मराज को दत्तक ग्रहण की सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्वीडन के दंपती को सौंपा गया है।
स्वीडन के नागरिक डेनियल संजय ओहल्सन व्यवसायी हैं। वहीं उनकी पत्नी कैटरीना एम्मा पुस्तकालाध्यक्ष हैं। पासपोर्ट एवं वीजा की प्रक्रिया पूरी होते ही धर्मराज अपने दत्तक माता-पिता के साथ स्वीडन की उड़ान भरेगा। बीते तीन दिनों में बेगूसराय विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में आवासित चार बच्चों को उनके दत्तक माता-पिता को सौंपा गया है। धर्मराज को जहां स्वीडन के दंपती ने गोद लिया है।

वहीं साहिल को केरल, साक्षी को पटना एवं शिवम को बिहटा के दंपती ने गोद लिया है। उक्त संस्थान में अब भी छह वर्ष आयु तक के सात बच्चे आवासित हैं। इनमें दो बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। डीएम रोशन कुशवाहा ने बताया कि अगले 16 जनवरी को दो और बच्चों को दत्तक माता पिता मिलेंगे। एक बच्चे को स्पेन के दंपती ने गोद लिया है, वहीं दूसरा बच्चा आंध्र प्रदेश के दंपती को सौंपा जाएगा।

विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र के समन्वय श्रुति कुमारी ने बताया कि जेजे एक्ट 2022 के तहत बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बना दिया गया है। 2022 के पहले परिवार न्यायालय द्वारा दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया व अनुमति दी जाती थी लेकिन परिवार न्यायालय द्वारा प्रक्रिया में देरी के कारण अब जिलाधिकारी के न्यायालय द्वारा उक्त प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है।
बच्चे को गोद लेने के लिए दंपती को सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथारिटी की वेबसाइट पर निबंधन करना होता है। निबंधन के बाद उन्हें आइडी व पासवर्ड दिया जाता है। संबंधित एजेंसी का चयन करने पर उन्हें पैन, आधार, आय की जानकारी समेत अन्य जरूरी कागजात भी आनलाइन प्रस्तुत करना होता है। एजेंसी दंपती को तीन बच्चों को विकल्प देती है। बच्चे के चयन के बाद दंपती का काउंसेलिंग व उनके घर का भौतिक सत्यापन किया जाता है।

भौतिक सत्यापन के बाद दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया शुरू होती है। भौतिक सत्यापन व होम विजिट लिए छह हजार रुपये व दत्तक ग्रहण के लिए 50 हजार की राशि भी आनलाइन जमा कराना होता है। प्रक्रिया पूरी होने पर दंपती बच्चे को गोद ले सकते हैं। उक्त पूरी प्रक्रिया 60 दिन में पूरी किया जाना अनिवार्य है। गोद देने के बाद भी बच्चों की मानिटरिंग की जाती है कि परवरिश सही से हो रही है या नहीं।


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