जीव दया की अद्भुत मिसाल पेश कर रहे 'उपदेश', कौओं और मछलियों को ब्रेड-रोटी खिलाने के बाद ही खुद करते हैं भोजन



नरकटियागंज (प. चंपारण), सुजीत कुमार: स्थानीय शहर के व्यवसायी उपदेश कुमार को चिंता है कौओं की सुरक्षा एवं संरक्षण की। तभी तो पिछले पांच वर्ष से प्रतिदिन उनको रोटी खिलाने के बाद ही भोजन करते हैं। सुबह तय समय पर पोखर के तट पर तकरीबन 100 की संख्या में कौए जमा हो जाते हैं। कोरोना काल में लाकडाउन में भी ये कौओं को भोजन कराने के लिए घर से निकलते थे। कौओं को खाना खिलाने में 10-15 मिनट का समय लगता है। उनके लिए पानी की भी व्यवस्था नहीं करनी पड़ती, क्योंकि समीप में हीं पोखर है।

उपदेश कुमार का कहना है कि जैव विविधता में पक्षियों का काफी महत्व है। धीरे-धीरे कौए कम हो रहे हैं। इनकी संख्या बढ़ाने एवं संरक्षित रखने के लिए यह कार्य करते हैं। वे कौओं के लिए घर से रोटी बनवा कर लाते हैं। गर्मी, बरसात, जाड़ा कोई भी दिन ऐसा नहीं है कि वे पक्षियों को भोजन नहीं कराते हों। उनका कहना है कि सुबह नित्य क्रिया से उठकर वे उनके लिए भोजन के प्रयास में लग जाते हैं। इससे उन्हें काफी सुकून मिलता है। पोखरा तट पर उनके पहुंचते ही काफी संख्या में कौए पहुंच जाते हैं। उनमें से कुछ पक्षियों को उड़ते हुए स्थिति में तो कुछ को नीचे फर्श पर भोजन देते हैं।
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उपदेश की जनरल स्टोर की दुकान है। कभी-कभी परेशानियों की वजह से सुबह में रोटी की व्यवस्था नहीं हो पाती है तो वे घर से दुकान की चाबी लेकर निकलते हैं। दुकान खोलकर बिस्कुट और ब्रेड लेकर समय से पोखर के तट पर पहुंच जाते हैं। प्रतिदिन इन्होंने सुबह सात बजे का समय कौओं को भोजन कराने के लिए निर्धारित किया है। ग्रामीण रामेश्वर सर्राफ, शिव कुमार सिंह, कन्हैया अग्रवाल का कहना है कि पक्षियों को नियमित भोजन कराने की उनकी पहल सराहनीय है। अन्य लोगों के लिए भी यह बड़ा संदेश है।
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प्रतिदिन शहर के मध्य में अवस्थित पोखर की मछिलयों को भी उपदेश का इंतजार रहता है। वे कौओं के लिए रोटी के साथ मछलियों के आटा की गोली लेकर जाते हैं। कौओं को रोटी खिलाने के बाद मछिलयों को आटा की गोली डालते है। दाने के लिए मछलियां पोखर में अटखेलियां करने लगती है।
जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए विलुप्त हो रहे पक्षियों को संरक्षित किया जाना अच्छी पहल है। कौओं की संख्या तेजी से घट रही है। इस पर सभी लोगों को पहल करना होगा। - डा. एच रहमान, विभागाध्यक्ष, जंतु विज्ञान विभाग, एमजेके कालेज, बेतिया
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