RTI से खुली विभाग की पोल: नदी में नहीं आई बाढ़, फिर भी बचाव के नाम पर खर्च किए 1.67 करोड़; उठी जांच की मांग



शिवहर, नीरज: शिवहर में साल 2022 में बागमती नदी पर उफान जरूर आई, लेकिन बाढ़ से तबाही जैसी स्थिति नहीं दिखी। कोई भी पंचायत बाढ़ की गिरफ्त में नहीं थी, लेकिन जिले में बाढ़ से बचाव पर 1.67 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। जल संसाधन विभाग द्वारा आरटीआइ के माध्यम से यह जानकारी दी गई है।
विभाग की मानें तो तटबंध पर नजर रखने के लिए अर्द्धकुशल मजदूरों पर 15 लाख 32 हजार 880 रुपये, तटबंध पर लगी घास और झाड़ी की कटाई पर विभाग ने 10 लाख 43 हजार 689 रुपये खर्च कर दिए। नदी से गाद निकालने की पहल तक नहीं हुई, लेकिन विभाग ने इस मद में नौ लाख 85 हजार 360 रुपये खर्च कर दिए गए। तटबंध पर ईंट बिछाने के लिए विभाग ने तीन लाख 98 हजार 388 रुपये, ईसी बैग पर एक करोड़ 22 लाख 29 हजार 133 और शिविर संचालन पर पांच लाख 10 हजार 550 रुपये खर्च किए हैं।



सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्रा की माने तो यह पूरी तरह अनियमितता का मामला है। इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होनें बताया कि अभी भी तटबंधों की स्थिति देखी जा सकती है। इस साल बागमती नदी का उफान बेलवा तक ही सीमित रहा। वहीं, कही भी नदी से गाद की सफाई नहीं की गई है।

उधर, पूर्व जिला पार्षद अजब लाल चौधरी बताते हैं कि पिछले साल एक-दो जगहों पर कटाव जरूर हुए थे। प्रशासन का ध्यान बेलवा स्थित सुरक्षा तटबंध की सुरक्षा तक ही सीमित रहा। बावजूद इसके 1.67 करोड़ रुपये का खर्च किया जाना सवालों के घेरे में है। इधर, लोजपा रामविलास के प्रदेश महासचिव नित्यरंजन कुमार सिंह उर्फ रंजन सिंह ने सरकार से मामले की जांच कराने की मांग की है।


जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता शशि कुमार चौधरी की माने तो विभाग द्वारा तमाम कार्य संवेदकों के जरिए कराए जाते है। आनलाइन प्रक्रिया के तहत संवेदक का चयन होता है। कार्य कराए जाने के बाद कई स्तरों पर जांच के बाद वरीय अधिकारी के स्तर से स्वीकृति के बाद संवेदक का भुगतान होता है। बताया कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है। विभाग द्वारा फ्लड फाइटिंग के तहत रोजाना किए गए कार्यों की रिपोर्ट रोजाना वरीय अधिकारियों को भेजी जाती है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। जो खर्च हुई है उसी की जानकारी दी गई है। बताया कि इतनी बड़ी राशि खर्च किए जाने के कारण ही बाढ़ पर काबू पाया गया है।



जिले में साल दर साल बागमती नदी तबाही मचाती है। हर साल बाढ़ सुरक्षात्मक एवं संघर्षात्मक कार्य पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। बावजूद इसके समस्या बरकरार है। लोगों की माने तो बागमती नदी की बाढ़ जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के लिए कमाई का जरिया बनती रही है। बताते चलें कि शिवहर जिले में बागमती नदी पर 25 किमी लंबा तटबंध है। इसमें एक तटबंध शिवहर जिले में है, दूसरा तटबंध सीतामढ़ी जिले में आता हैं। शिवहर जिले में बेलवाघाट से परसौनी बैज, मोहारी, चक फतेहा, मोतनाजे व तरियानी होते हुए सीतामढ़ी जिले के बेलसंड तक जाती हैं।

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