Buxar News : चौसा मामले में अब जागा जिला प्रशासन, कहा- अफवाह पर ध्यान न दें, मुआवजे की गणना का गणित भी बताया



Buxar Chausa Power Plant News जागरण संवाददाता, बक्सर। चौसा में निर्माणाधीन बक्सर थर्मल पावर प्लांट से जुड़ी रेलवे लाइन और पाइप लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण के सवाल पर तीन महीने से प्रशासन और किसानों के बीच रार चल रही है।
सरकार और प्रशासन के स्टैंड के खिलाफ किसानों का शांतिपूर्ण आंदोलन पिछले एक हफ्ते में उग्र हो गया और इसका नतीजा पुलिस-पब्लिक झड़प के रूप में सामने आया। एक सप्ताह से चौसा देशभर की राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। लेकिन अब जाकर जिला प्रशासन को यह ख्याल आया है कि मसले पर भ्रम दूर करना चाहिए।

चौसा पावर प्लांट में बीते हफ्ते में मंगलवार और बुधवार को हुए बड़े बवाल के बाद पुलिस मुख्यालय के स्तर से तो कई बार बयान आ गया, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से ऐसी कोई पहल नहीं हुई। नतीजा यह हुआ कि चौसा प्रकरण को लेकर भ्रम और बढ़ता गया। अब जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन से ठीक पहले राष्ट्रीय स्तर के किसान नेता राकेश टिकैत चौसा यहां पहुंचे, तो जिला प्रशासन की तंद्रा टूटी है।

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जिला प्रशासन की ओर से सोमवार को बताया गया है कि विगत कुछ दिनों में चौसा थर्मल पावर प्लांट से संबंधित रेल कॉरिडोर एवं वाटर पाइप लाइन हेतु भू-अर्जन मुआवजे को लेकर कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। इन योजनाओं के लिए भू-अर्जन में मुआवजा राशि वर्ष 2013-14 की खरीद-बिक्री दर से देने की बात पूरी तरह अफवाह है।
प्रशासन के मुताबिक सरकार के प्रावधानों के मुताबिक नवीनतम दर से ही मुआवजे की गणना की गई है। बिहार भू-अर्जन अधिनियम 2013 के तहत दर निर्धारण कमेटी द्वारा अधिसूचना की तिथि (दिनांक) से तीन वर्ष पूर्व की तिथि के दौरान निबंधन कार्यालय में उपलब्ध मौजावार उक्त अवधि के खरीद-बिक्री के आंकड़ों के आधार पर की गई है।
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प्रशासन के अनुसार, वाटर कॉरिडोर में भूमि मुआवजे की राशि की गणना 25 मार्च 2017 से 24 सितंबर 2020 तक की तिथि के बीच में निबंधन कार्यालय में उपलब्ध मौजावार खरीद-बिक्री के आंकड़ों के आधार पर की गई है। वहीं, रेलवे लाइन के लिए मुआवजे का निर्धारण 11 अप्रैल 2018 से 10 अप्रैल 2021 के बीच के आंकड़ों के आधार पर किया गया है।
बिहार भू-अर्जन अधिनियम के आलोक में मुआवजे के लिए दर निर्धारण में खरीद-बिक्री के आंकड़े में से उच्चतर 50% को शामिल किया गया है। इन उच्चतर 50 प्रतिशत खरीद-बिक्री के आंकड़ों का औसत मूल्य दर का निर्धारण किया गया है। इस दर को दो से गुणा करते हुए अतिरिक्त 100% सोलेशियम राशि जोड़कर मुआवजा दिया जाता है।
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इस तरह जमीन की कीमत का चार गुना मुआवजा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त भू-अर्जन के लिए अधिसूचना की तिथि से लेकर अवार्ड घोषित करने की तिथि तक 12% सालाना ब्याज भी मुआवजा राशि में जोड़कर दिया जा रहा है। प्रशासन ने अनुरोध किया है कि दोनों योजनाओं के जद में आने वाले किसान मुआवजे के लिए आवेदन अंचल कार्यालय चौसा स्थित कैंप अथवा जिला भू-अर्जन कार्यालय में दे सकते हैं।
चौसा और आसपास पावर प्लांट का निर्माण शुरू होने के बाद जमीन का रेट बेतहाशा बढ़ गया है। सरकारी स्तर पर निर्धारित सर्कल रेट और बाजार दर में काफी अंतर है। ऐसा इसलिए भी है कि जमीन खरीदने-बेचने वाले सही रेट का जिक्र नहीं करते हैं। जमीन की खरीद-बिक्री में अधिकतर सौदे का सही रेट छिपा लिया जाता है, जबकि जमीन अधिग्रहण में मुआवजा इसी के आधार पर तय होता है।

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