BJP MLA Rampravesh Rai : भाजपा विधायक रामप्रवेश राय की बढ़ीं मुश्किलें, कोर्ट ने जारी किया गैर जमानतीय वारंट



जागरण संवाददाता, गोपालगंज। बिहार के पूर्व मंत्री सह वर्तमान बरौली के भाजपा विधायक रामप्रवेश राय की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके विरुद्ध गैर जमानतीय वारंट जारी किया गया है। उक्त कार्रवाई विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने लगातार चार तिथियों पर अदालत से अनुपस्थित रहने के बाद की है। यह मामला विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की ओर से जारी कोविड गाइडलाइन के उल्लंघन का है। इसकी पुष्टि अभियोजन पदाधिकारी आनंद शर्मा ने की है।


बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह बरौली के भाजपा विधायक रामप्रवेश राय के खिलाफ 24 अक्टूबर 2020 को बरौली थाने में कोविड-19 के नियमों के उल्लंघन के लिए बरौली प्रखंड के तत्कालीन प्रखंड कृषि पदाधिकारी देवेंद्र पांडे ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
बरौली थाना कांड संख्या 300/20 के अनुसार, तत्कालीन बीडीओ को 24 अक्टूबर 2020 को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बरौली में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रामप्रवेश राय के पक्ष में आयोजित चुनावी सभा में मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था।
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इस सभा में शामिल अधिकांश लोगों द्वारा न तो मास्क का प्रयोग किया गया और ना ही शारीरिक दूरी का ही पालन किया गया था। इस चुनावी सभा में स्पष्ट रूप से चुनाव आयोग के निर्देशों एवं कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन किया गया था। मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्त देवेंद्र पांडे ने बरौली थाने में कोविड-19 के नियमों के उल्लंघन को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान पाया कि बरौली विधायक राम प्रवेश राय लगातार चार तिथियों पर अदालत में उपस्थित नहीं हुए हैं। ऐसे में अदालत ने उनका बंधपत्र खंडित करते हुए उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी कर दिया।
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अभियोजन पदाधिकारी आनंद शर्मा ने बताया कि पुलिस पेपर एवं आरोप गठन के लिए मामला लंबित चला आ रहा है। एमपी-एमएलए के वादों का शीघ्रता से निस्तारण करने के उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय का विशेष दिशा-निर्देश हैं। स्वयं उच्च न्यायालय प्रत्येक माह ऐसे लंबित मामलों की समीक्षा करता है।


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नवंबर में बिहार के पूर्व मंत्री सह वर्तमान बरौली के भाजपा विधायक रामप्रवेश राय को अदालत ने एक मामले में दोषी पाते हुए 1000 रुपये का अर्थदंड लगाया था। यह कार्रवाई भी विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने 12 साल पुराने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले में की थी।
सजा सुनाने से पूर्व विधायक को न्यायिक अभिरक्षा में लिया गया था। वहीं, सजा सुनाए जाने के बाद अर्थदंड की राशि विधायक ने जमा कर दी थी। इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था। बता दें कि इसी मामले में विधायक पर इससे पूर्व गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।
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इसके बाद 22 अक्टूबर को उनके आत्मसमर्पण के बाद अदालत ने 5000 रुपये जुर्माना लगाते हुए सशर्त जमानत दी गई थी। विधायक ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में दिव्यांग एवं गरीबों की मदद के मद में दंड की राशि जमा कराई थी। दरअसल, 12 सितंबर 2010 को बरौली के तत्कालीन बीडीओ उदय कुमार तिवारी के लिखित आवेदन के आधार पर बरौली थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
कांड संख्या-148/2010 में भारतीय दंड संहिता की धारा-171 एफ के तहत बिहार सरकार के तत्कालीन पर्यटन मंत्री रामप्रवेश राय को बनाया गया था। प्राथमिकी के अनुसार 10 सितंबर 2010 को तत्कालीन मंत्री रामप्रवेश राय दोपहर डेढ़ बजे दोपहर में सीमरिया स्थित सारण तटबंध पहुंचे। तट पर बाढ़ नियंत्रण निरोधक कार्य कार्यपालक अभियंता की ओर से कराया जा रहा था।
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वहां पहुंचकर उन्होंने जनता की उपस्थिति में कार्यपालक अभियंता को एवं अन्य विभागीय कर्मचारियों को दिशा-निर्देश दिया। आवेदक ने कहा कि उनका यह कार्य मतदाताओं को अनैतिक रूप से चुनाव में प्रभावित करने के उद्देश्य से किया गया प्रतीत होता है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

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