तंत्र के गण: अक्षय कुमार की फिल्म देख खगड़िया के रवि बने पैडमैन, आज लाखों का बिजनेस; सात लोगों को दिया रोजगार



चितरंजन सिंह, संवाद सूत्र, चौथम (खगड़िया)। एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' तो आपने देखी होगी। फिल्म में अक्षय कुमार ने महिलाओं को गंदे कपड़े इस्तेमाल करते हुए देख पैड बनानी की सोची थी। इसी फिल्म को देखकर खगड़िया के रवि कुमार को प्रेरणा मिली। आज सिर्फ रवि सफल उद्यमी ही नहीं है बल्कि उन्होंने दूसरे लोगों को भी रोजगार दिया है।
खगड़िया जिले के नीरपुर पंचायत के लक्ष्मीपुर निवासी रवि कुमार आज सफल उद्यमी हैं। रवि ‘कोसी सेनेटरी पैड’ नाम से पैड बनाते हैं। पैड बनाने का उद्योग उन्होंने अपने गांव लक्ष्मीपुर में ही लगा रखा है, जहां रोजाना आठ से 10 हजार पैड का निर्माण किया जा रहा है। प्रति माह दो से ढाई लाख पैड का निर्माण किया जा रहा है।

कोसी सेनेटरी पैड की सात पीस के एक पैकेट की कीमत 40 रुपये है। लक्ष्मीपुर से पैड खगड़िया समेत बेगूसराय, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, भागलपुर, सहरसा, सुपाैल और मधेपुरा भेजे जाते हैं। वहीं रवि की पैड बनाने की इकाई से सात लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिला है।
पैड निर्माण का उद्योग लगाने के विचार पर रवि बताते हैं कि 2020 में वे दिल्ली में रहते थे। लॉकडाउन के दौरान वे बेरोजगार हो गए। हालात ऐसे बने कि उनको घर लौटना पड़ा। घर पर भी रोजी-रोटी को लाले पड़ रहे थे। इसी दौरान अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' देखी। फिल्म ‘पैडमेन’ ने रवि की किस्मत ही बदल दी। इस फिल्म से प्रेरणा लेकर बिजनेस शुरू किया। आज वे सफल उद्यमियों में शुमार हैं।
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रवि अपनी भविष्य की योजना पर भी बात करते हैं। वे बताते हैं कि उनका लक्ष्य है कि उनके बनाए गए पैड राज्य के कोने-कोने में भेजे जाए। इतना ही नहीं रवि महिलाओं को स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूक भी करते हैं। वे उन्हें पैड के महत्व से अवगत कराते हैं। वे ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को बताते हैं कि कैसे पैड का उपयोग कर बीमारियों से दूर रहा जा सकता है।
रवि ने जब उद्योग-धंधे खड़े करने की साेची तो आर्थिक संकट सामने थी। उस खराब वक्त में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना ने उनके लिए संजीवनी का काम किया। रवि को इस योजना का लाभ मिला। योजना से 10 लाख रुपये का ऋण मिला। इसी पैसे से पैड बनाने का काम शुरू कर दिया।
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रवि का कहना है कि इस साल मार्च से डायपर का भी निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इससे रोजी-रोजगार का दायरा बढ़ेगा और नए-नए लोगों को काम मिलेगा। रवि कहते हैं कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर अगर ईमानदारी से काम किया जाए, तो खुद के साथ-साथ समाज को भी लाभ मिल सकता है। उद्योग सिर्फ शहर में ही नहीं, बल्कि सुदूर देहात में भी पुष्पित-पल्लवित हो सकता है।


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