दिव्यांगता को वरदान मानकर पिता के शब्दों को कर दिखाया सच, बहुमुखी प्रतिभा के धनी शिक्षक मुकेश की है खास पहचान



छौड़ाही (बेगूसराय), बलबंत चौधरी: छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय भोजा में कार्यरत 32 वर्षीय शिक्षक मुकेश कुमार दोनों पैर से दिव्यांग हैं, परंतु विद्यालय के सबसे तेजतर्रार एवं विद्वान शिक्षकों में गिने जाते हैं। मुकेश पांच भाई बहनाें में सबसे बड़े हैं। पिता का साया बचपन में ही सिर से उठ गया। मां ने गहने-जेवर बेचकर इन्हें पढ़ाया लिखाया। आज वे समाज के गरीब परिवारों के प्रेरणास्रोत, आदर्श शिक्षक, प्रसिद्ध गायक एवं वादक के रूप में जाने जाते हैं।


मूल रूप से खोदावंदपुर प्रखंड क्षेत्र के मुसहरी गांव निवासी स्व. प्रेमसागर महतो एवं माता फुलेश्वरी देवी के पुत्र मुकेश कुमार बताते हैं कि दाई ने जब पिताजी को सूचना दी कि आपकी पहली संतान दोनों पैर से दिव्यांग है, तो उन्होंने कहा- भगवान भोलेनाथ जो दिए हैं कुछ अच्छे के लिए दिए हैं। यही हमारे गरीब परिवार का सहारा बनेगा।
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उन्‍होंने आगे बताते हुए कहा कि‍ बचपन में ही पिताजी चल बसे। हमारे छोटे-छोटे चार भाई बहन थे। 10 किलोमीटर तक लाठी के सहारे चलकर माध्यमिक, फिर उच्च शिक्षा प्राप्त की। जमीन जायदाद कुछ नहीं था। 10 वर्ष की उम्र से ही अपने से छोटे बच्चे को ट्यूशन पढ़ाकर खुद एवं परिवार का पोषण किया। बड़े होने पर संगीत की अच्छी जानकारी हो गई। अब गायन एवं वादन के लिए कई जिलों के लोग बुलाते हैं। मां भी इसमें हमेशा साथ देती थीं।
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मुकेश की संगीत मंडली में दो दर्जन से ज्यादा गायक एवं वाद्य यंत्रों के वादक जुड़े हुए हैं। दिव्यांग होने के बावजूद संघर्ष कर सफलता प्राप्त करने, दिव्यांगता अभिशाप नहीं है वरदान आदि दिव्यांगता थीम पर अब तक 350 से ज्यादा संगीतमय प्रस्तुति दे चुके हैं। इसके अलावा सामाजिक स्तर पर विभिन्न गांव में छात्रों की पढ़ाई-लिखाई के लिए अभिभावकों से मिलकर समस्या का समाधान भी करते हैं। इनसे प्रेरणा लेकर कई दिव्यांग छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए नामांकन करवाया है। मंझौल अनुमंडल के घर-घर में युवा लोग मुकेश सर को सम्मान देते हैं।

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