तंत्र के गण: कभी चलाते थे रिक्शा, आज कैब कंपनी के हैं मालिक, काफिले में जुड़ गईं 3200 गाड़ियां



अमरेंद्र कांत, सहरसा। दिल्ली की सड़कों पर पैडल रिक्शा चलाने वाले दिलखुश कुमार के कैब सर्विस कंपनी के मालिक बनने की कहानी दिलचस्प है। दिलखुश बिहार के सहरसा जिले के बनगांव के रहने वाले हैं। उनकी एप आधारित रोडबेज कंपनी से इस समय 3200 से अधिक गाड़ियां जुड़ी हैं। इतनी ही संख्या में चालक भी उनसे जुड़े हुए हैं। इस साल के अंत तक उन्होंने अपने नेटवर्क से 25 हजार गाड़ियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

दिलखुश की पढ़ाई इंटरमीडिएट तक ही हुई है। पिता पवन खां बस चालक हैं। गांव के लोग भी कहते थे, बस चालक का बेटा तो बस चालक ही बनेगा। लेकिन, दिलखुश के लिए बस चालक भी बनना आसान नहीं रहा। गांव में रोजगार शिविर लगा तो निजी स्कूल में चपरासी पद के लिए आवेदन दिया।
वहां भी नौकरी लगते-लगते रह गई। चयनकर्ताओं ने इन्हें छांट दिया। रोजगार की तलाश में दिल्ली गए। बस चालक की नौकरी नहीं मिली तो पैडल रिक्शा चलाना शुरू किया। इसी बीच बीमारी ने जकड़ लिया। घर लौट आए। कुछ अलग करने की ठानी।

स्टार्टअप योजना के तहत बिहार सरकार के सीड फंड से साढ़े पांच लाख रुपये का ऋण लिया। अक्टूबर 2016 में आर्यागो नाम से कैब सेवा शुरू की। इसमें 350 के करीब गाड़ियों का संचालन होता है। सहरसा के अलावा पड़ोसी जिले सुपौल और दरभंगा तक इसका नेटवर्क है।
छह जून 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्ट अप इंडिया के तहत युवाओं से बात की थी। इसमें दिलखुश भी शामिल थे। कमाई बढ़ने पर दिलखुश ने आर्यागो की जिम्मेदारी पत्नी और अन्य सहयोगियों को सौंप दी और पिछले साल रोडबेज नाम से एक दूसरी कंपनी बनाई। रोडबेज भी एप आधारित कैब सेवा प्रदाता कंपनी है।

दिलखुश अपनी कंपनी का संचालन पटना से कर रहे हैं। यहीं उनका कार्यालय है। इसमें 14 लोग नौकरी कर रहे हैं। वे बताते हैं कि ओला और उबर जैसी कंपनियों से इतर रोडबेज अलग-अलग शहरों में जाने के लिए कैब उपलब्ध कराती है।
वे कहते हैं कि देश में रोजाना सवा करोड़ लीटर तेल इसलिए बर्बाद हो रहा है, क्योंकि अधिकतर चालकों को किसी अन्य शहर जाने पर एक ही तरफ के लिए यात्री मिलते हैं। उनका लक्ष्य कैब चालकों का एक समुदाय विकसित करना है, जिसमें देश के सभी शहरों का प्रतिनिधित्व हो।

वे साफ्टवेयर इंजीनियरों की मदद से ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं, जिसमें अन्य कैब सेवा कंपनियों के चालकों के आंकड़े भी रहेंगे। इसका फायदा यह होगा कि अगर व्यक्ति को किसी शहर में कैब की जरूरत पड़ेगी, तो उसे सेवा उपलब्ध करा दी जाएगी।

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