जाटी, गोपालगंज। जन सुराज पदयात्रा के दौरान राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बरौली के एक निजी विद्यालय में प्रेसवार्ता की। नीतीश कुमार की समाधान यात्रा पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि 17 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्हें एहसास हुआ है कि कुछ समाधान करने की जरूरत है। ये अच्छी बात है, लेकिन अपने बंगले से निकलकर परिसदन सर्किट हाउस में बैठकर अफसरों के साथ बैठकर परिचर्चा करना यात्रा कैसे हो गई?
नीतीश कुमार पहले भी ऐसी 14 यात्राएं कर चुके हैं। समाधान यात्रा के तहत का नीतीश कुमार ने पश्चिम चंपारण की सभी समस्याओं का समाधान उन्होंने चार घंटे में कर दिया। 15 मिनट में उन्होंने पूर्वी चंपारण के सभी मसलों का समाधान कर दिया। गोपालगंज जिले में तो वे आए तक नहीं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि यह किस तरह की यात्रा है कि आप हेलीकाप्टर से आए परिसदन में बैठे अपने चार अफसरों और तीन चाटुकार मंत्रियों को अगल-बगल बैठाया और आपकी यात्रा पूरी हो गई। दो-चार लोगों से मिले और हो गई यात्रा, हो गया उनकी समस्याओं का समाधान।
जन सुराज पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी खराब है कि पदयात्रा के दौरान जिन पंचायतों, कस्बों से वे गुजरे, वहां अब तक कोई भी सुचारू रूप से चलने वाला अस्पताल नहीं दिखा। बिहार की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था ग्रामीण चिकित्सकों और सर्विस प्रोवाइडर पर ही निर्भर है। आगे प्रशांत ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरे तरीके से कहीं भी सुचारु देखने को नहीं मिल रही है।
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के विरोध में कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा कर रही है और हम देख रहे हैं कि उसमें कई राज्यों के विपक्ष के नेता शामिल हो रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार उस यात्रा में शामिल भी नहीं हुए।
इसलिए यह व्यवस्था (महागठबंधन) नीतीश कुमार द्वारा बनाई गई है, इससे उन्हें अपनी कुर्सी पर बने रहने में मदद मिल रही है। नीतीश कुमार के जीवन में बस एक ही प्राथमिकता रह गई है कि वह किसी भी तरह से मुख्यमंत्री बने रहें। चाहे वह भाजपा के साथ रहकर बनें या लालटेन के साथ उन्हें, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
प्रशांत ने कहा कि जाति गणना समाज को बेवकूफ बनाने का तरीका है। केवल जनगणना या सर्वे करा लेने से लोगों की स्थिति नहीं सुधरेगी, बल्कि इन लोगों की स्थिति तब सुधरेगी जब उन जानकारियों पर आप ईमानदारी से कुछ बेहतर प्रयास करेंगे। जाति गणना समाज को बांटने के लिए, अगड़ा-पिछड़ा कर, जाति के आधार पर उन्माद खड़ा कर वोट लेने की तैयारी है।