तंत्र के गण: बिहार के शिवहर में शासन की सहायता और कौशल के मेल से युवाओं ने लिखी उद्यमिता की सफल गाथा



नीरज, शिवहर। पांच साल पहले तक बिहार के शिवहर निवासी अजय कुमार गुप्ता पुरानी दिल्ली में प्रेशर कुकर बनाने वाली फैक्ट्री में मजदूर थे। 10 से 12 घंटे काम के बावजूद आठ से 10 हजार ही कमा पाते थे। खुद के साथ पारिवारिक खर्च भारी पड़ रहा था।
2017 में मन उचटा तो सबकुछ समेट घर चले आए, पर चुनौतियां यहां भी कम नहीं थीं। लेकिन सरकारी लाभ मिला तो दिल्ली में काम के अनुभव ने रंग दिखाया। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का लाभ मिला और पांच साल में एक करोड़ का कारोबार करनेवाली मेटल इंडस्ट्री खड़ी कर दी। आज उनकी फैक्ट्री में 25 लोग रोजगार पा रहे हैं। काम के अनुसार आठ से 10 हजार तक पारिश्रमिक दे रहे हैं।

अजय बताते हैं कि धनकौल में 2017 में मां गायत्री मेटल इंडस्ट्रीज के नाम से अपना कारोबार खड़ा किया। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 50 लाख का लोन मिला। काम शुरू हुआ तो कारीगर भी जुड़ते गए। कोरोना संक्रमण के दौरान लाकडाउन में घर लौटे लोगों को रोजगार मिल गया। अभी हर महीने औसतन 10 लाख तक का कारोबार हो रहा है। कच्चे माल पर चार लाख, मजदूरी पर करीब ढाई लाख, बैंक ऋण व अन्य खर्च पर डेढ़ लाख रुपये खर्च करने के बाद हर माह लगभग दो लाख रुपये की बचत हो रही है।

इसी जिले के पिपराही के अजय कुमार के मजदूर से उद्यमी बनने की कहानी कोरोना संक्रमण काल में लिखी गई थी। मुंबई में फर्नीचर कंपनी में मजदूर थे। गांव के पांच लोगों के साथ समूह में रहकर काम करते थे। 10 से 12 हजार रुपये ही मिल पाते थे। लाकडाउन में वह काम भी छिन गया। यहां उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार योजना का लाभ लेकर बढ़ई के पुश्तैनी कारोबार को आगे बढ़ाया।

वर्ष 2021 में आवेदन देने के छह माह के अंदर 10 लाख रुपये ऋण मिल गया। इसका इस्तेमाल उन्होंने मशीन और लकड़ी की खरीदारी में किया। अब यह दो दर्जन लोगों को रोजगार देने वाला उद्यम हो गया है। अपने यहां काम करनेवाले लोगों को आठ से 10 हजार रुपये पारिश्रमिक देते हैं। उनका कारोबार प्रतिमाह 10 से 12 लाख का है।
फर्नीचर कारोबारी अजय कुमार बताते हैं कि बैंक आफ बड़ौदा से ऋण मिला तो अपने काम की राह आसान हो गई। मुंबई में किए गए काम और मार्केंटिंग का अनुभव सहायग बन गए। अब यहां अपने लोगों के साथ काम कर रहे हैं। घर के लोगों का भी साथ मिल रहा है। लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

मेटल व्यवसायी अजय कुमार गुप्ता का कहना है कि दिल्ली में उनके पुराने संबंध हैं, वहीं से कच्चा माल मंगा लेते हैं। उनके यहां बने प्रेशर कुकर, कढ़ाई, फ्राई पैन, बाल्टी व अन्य बर्तन बिहार के 14 जिलों में भेजे जा रहे हैं। इसे और विस्तार देकर 100 से अधिक लोगों को रोजगार देने की योजना है।
जिला उद्योग विस्तार पदाधिकारी एम. सहनी का कहना है कि बिहार के सबसे छोटे जिले में 106 युवा बीते एक साल में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना, उन्नयन योजना और मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत पांच से 15 लाख रुपये तक का लाभ लेकर 96 छोटे-बड़े उद्योग स्थापित कर चुके हैं। फर्नीचर, मोमबत्ती, पशुचारा, अगरबत्ती, रेडिमेड कपड़ा, जरी, बेकरी, लहठी जैसे उद्योग में स्थानीय लोगों को काम मिल रहा है।

जिले में औद्योगिक इकाइयों का विस्तार हो रहा है। यही वजह है कि केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन में शिवहर राज्य में पांचवें स्थान पर है। जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता इसे बड़ी उपलब्धि बताते हैं। उनका कहना है कि जिले में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएफएमई) व स्टार्टअप योजना के तहत उद्योगों की स्थापना को लेकर यह उपलब्धि मिली है।

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