पहले खूब बनती-बिकती थी शराब, फिर महिलाओं ने दिया 'न शराब पीएंगे, न बनाएंगे' का नारा; अब बंद हुईं शराब भट्टियां



राजेश कुमार बैठा, (भैरोगंज) पश्चिमी चंपारण: न शराब पीएंगे, न बनाएंगे। ये नारा बगहा दो प्रखंड के खरहट-त्रिभौनी पंचायत स्थित उस गांव में बुलंद हो रहा है, जहां पहले कभी बड़े पैमाने पर शराब बिकती थी। यहां लोगों का शराब पीकर आना, हंगामा करना और मारपीट करना पहले आम बात थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह सब गांव की कुछ दलित महिलाओं के प्रयास और संकल्प से संभव हुआ है। अब गांव में शराब बिल्कुल नहीं बिक रही।

खरहट गांव में बीते तीन महीनों से शराब बिल्कुल नहीं बिक रही। शराबबंदी के बाद भी कई सालों तक इस धंधे से जुड़े रहने वाले लोगों ने अब इससे दूरी बना ली है। अब वे मजदूरी कर परिवार का जीवनयापन कर रहे हैं। इस दिशा में महिलाओं की राह आसान नहीं थी, लेकिन उनके अथक प्रयास से वह मंजिल भी अब दूर नहीं दिख रही।
भैरोगंज थाना क्षेत्र के पांच हजार आबादी वाले इस गांव के मुसहर टोला में लंबे समय से शराब बिक रही थी। शराब पीकर आना व मारपीट की घटनाएं यहां आए दिन होती थीं। रोज-रोज की इस स्थिति से त्रस्त होकर एक दिन यहां की महिलाओं ने बैठक की और तय किया कि गांव में अब न शराब बनने देंगे और न पीने देंगे।
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इस संकल्प के साथ सहारा देवी, सोना देवी, गिरजा देवी, सलिता देवी, राधा देवी, शांति देवी ,कुसुमी देवी, चंपा देवी, लक्ष्मीना देवी, सुभावती देवी व रंभा देवी ने गांव में जागरूकता अभियान शुरू किया। अभियान के तहत पहले ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया, जो किसी न किसी रूप में इस धंधे से जुड़े हुए थे। महिलाओं ने उन्हें बार-बार जीवन की जरूरत और बच्चों के भविष्य की दुहाई दी। धीरे-धीरे गांव के धंधेबाजों व शराबियों को चिन्हित कर उन्हें समझाना शुरू किया। जब शराबियों ने पीना छोड़ा तो धंधेबाज भी बैकफुट पर आ गए और गांव में शराब बनाने की भट्टियां बंद हो गईं।
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अब महिलाओं का यह अभियान सिर्फ खरहट गांव तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आस-पास के अन्य गांवों में भी जोर पकड़ चुका है। महिलाएं समूहों में गांव-गांव घर-घर जाकर शराब न पीने, न बेचने की शपथ दिलाती हैं।
खरहट गांव के अलाउद्दीन मियां, श्यामू मांझी और संतोष मांझी ने बताया कि महिलाओं के प्रयास से शराब के धंधे पर अंकुश लगा है। अब, यदि पुलिस-प्रशासन का सहयोग मिल जाए तो निश्चित रूप से इस अभियान को बल मिलेगा। पहले गांव में 18 जगहों पर शराब बनती और बिकती थी। अब, महज आठ जगह बन व बिक रही है। इसकी जानकारी पुलिस को दी गई है। पूर्व में पुलिस कई बार शराब की भट्टियां तोड़ चुकी है। कई लोग जेल भी जा चुके हैं।
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खरहट गांव के ही ग्यास ठाकुर कहते हैं कि पहले वे भी शराब पीते थे, लेकिन महिलाओं के प्रयास से अब शराब पीना छोड़ चुके हैं। अब वे मेहनत-मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
वहीं, गांव के ही बहादुर चौधरी कहते हैं कि पहले वे अक्सर बीमार रहते थे, लेकिन जबसे शराब पीना छोड़ दिए हैं, तबसे काफी स्वस्थ हैं। वे कसम खाते हैं कि अब जीवन में कभी इसकी ओर मुड़ कर नहीं देखेंगे। उन्होंने कहा कि अब बच्चों को पढ़ा-लिखा कर इस काबिल बना देना है कि वे अपना जीवन अच्छे से जी सकें।
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बयान
पंचायत के वार्ड संख्या तीन दलित बस्ती में महिलाएं शराबबंदी पर अभियान चलाकर लोगाें को जागरूक कर रही हैं। यह बहुत ही सराहनीय पहल है। यदि इस तरह हर गांव-पंचायत की महिला शराबबंदी पर लोगों को जागरूक करने लगीं, तो हम शराबबंदी पर पूर्ण रूप से कामयाबी पा सकते हैं।
-सोनम देवी,मुखिया

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