जमुई: रतन 32 साल से समाज के लिए समर्पित, अपने खर्च पर कर दी किसानों के लिए सिंचाई; बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था



बिभूति भूषण, जमुई। गिद्धौर प्रखंड के गुगुलडीह निवासी रतन उपाध्याय विगत वर्ष 32 वर्षों से समाज के लिए निस्वार्थ भाव से समर्पित हैं। उन्होंने अपने नेतृत्व में श्रमदान से नागी डैम से निकलने वाली ध्वस्त हो चुके जल वितरण प्रणाली को मरम्मत कराकर 350 एकड़ भूमि के पटवन की व्यवस्था की। जो आज भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
रतन ने न सिर्फ किसानों के सपनों में उड़ान के पंख लगाने का काम किया। बल्कि, अन्य जरूरतमंद की सहायता को भी अपना लक्ष्य बना लिया। उनके इस भागीरथी प्रयास के कारण वर्तमान समय में इस क्षेत्र के कोड़वाकुडा, पीराटांड़, ढोलकटवा, छेदलाही, कुड़िला और पांडेयठीका गांव में दलित और अनुसूचित जाति बहुल इलाकों में खेतों में बड़े ही आराम से किसानों की फसल लहलहा रही है।

सिंचाई के समुचित प्रबंधन के साथ-साथ रतन किसानों को वर्तमान समय में नकदी फसल के लिए भी अपने खर्च से बीज उपलब्ध करा रहे हैं और उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण भी दिलाने का कार्य कर रहे हैं। ताकि किसान सिंचाई के मामले में आत्मनिर्भर होने के पश्चात समय की मांग के अनुसार अपने खेतों में फसल लगाकर अधिक से अधिक आय का स्रोत सृजित कर आर्थिक रूप से संपन्न बन सकें।
रतन वर्ष 1995 से ही इस क्षेत्र के गरीब, निरक्षर महिलाओं और पुरुषों को साक्षर बनाने के लिए भी अनवरत रूप से कार्य कर रहे हैं,  ताकि क्षेत्र के लोग अंधविश्वास से ऊपर उठकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों का भी खात्मा कर सकें। वह अनवरत रूप से लोगों को नशा, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों से दूर रहने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
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इससे इनके बच्चे भी पढ़-लिखकर समाज में एक स्थान प्राप्त कर मुख्यधारा से जुड़कर बेहतर तरीके से एक सभ्य नागरिक का जीवन जी सकें। उनका मानना है कि शिक्षा के बल पर ही समाज में सभ्य नागरिक का दर्जा प्राप्त कर जीवन में बेहतर मुकाम हासिल कर अपने आपको सही तरीके से स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने इस क्षेत्र में समय-समय पर फैलने वाली बीमारियों से भी लोगों को बचाने के लिए अपने खर्च पर दवा और अन्य सुविधा मुहैया कराने का काम किया है।
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समाजसेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने वाले रतन की कहानी भी बड़ी अजीब है। उनका मानना है कि समाजसेवा के लिए सोच बनाने के बाद क्षेत्र के लोगों का बहुत उपहास झेलना पड़ा। कई लोगों ने तो शुरुआती दौर में मेरा बहुत विरोध किया। इस काम में मेरी धर्मपत्नी मुक्ति रानी ने मेरा भरपूर साथ दिया। जिसके कारण समाज के अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को अपने प्रयास और विभिन्न माध्यमों से भी भरपूर सहयोग करने का काम किया। नक्सल के साथ-साथ गरीबी और बेरोजगारी की मार झेल रहे पिछड़े इलाके के दर्जनों लोगों को समाज की मुख्यधारा से भी जोड़ने का काम किया।

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