बक्सर: घाटे का सौदा कर रहे टमाटर उत्पादक किसान, ओने-पौने दामों पर बेचने को हैं लाचार



संवाद सहयोगी, डुमरांंव (बक्सर)। टमाटर की गिरती कीमत के कारण उत्पादक किसानों का खेती पर किया गया खर्च भी पूरा नहीं मिल पा रहा है। टमाटर को उगाने में खासी मेहनत लगती है और खर्च करना पड़ता है। फिलहाल कम दाम मिलने से टमाटर की खेती करना घाटे का सौदा साबित होने लगा है। ज्यादा उत्पादन होने के कारण टमाटर के दाम गिरने से किसान निराश हो गए हैं।
सब्जी मंडियों में टमाटर कौड़ियों के भाव बिक रहा है। किसानों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि खेतों को खाली करने के लिए अपने उत्पादित टमाटर का क्या करें और कैसे खेतों को खाली करें। बता दें कि विशेष रूप से पुराना भोजपुर से नीचे दियारा इलाकों में टमाटर की खेती पिछले एक-डेढ़ दशक से देश के बड़े बाजारों में अपनी मिठास और खूबसूरती की एक अलग छाप छोड़ती रही है।

लेकिन इस बार ज्यादा उत्पादन होने के कारण टमाटर का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। यहां उत्पादित टमाटर अपने स्वाद व गुणवत्ता के लिए सूबे की बड़ी मंडियों के साथ ही झारखंड, यूपी, बंगाल आदि की मंडियों में विख्यात है। यही कारण है कि दूसरे प्रदेश के सब्जी व्यवसायियों को यहां के टमाटर के बाजार में आने का इंतजार रहता है, लेकिन मंडी के अभाव में स्थानीय किसान बिचौलियों के हाथों अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं।




डुमरांव के साथ ही सिमरी प्रखंड, ब्रह्मपुर तथा चक्की प्रखंड के इलाके में रहने वाले किसानों के लिए सब्जी की खेती जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है। इसके लिए किसान लागत खर्च के साथ ही काफी मेहनत करते हैं, लेकिन इस बार टमाटर की ज्यादा खेती होने के कारण खेत में मजदूर लगाकर तोड़ाई खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है। फिलहाल उत्पादक किसानों को एक रुपये प्रति किलो टमाटर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यही नहींं उत्पादक किसान रोड के किनारे टमाटर फेंक रहे हैं या फिर खेतों में छोड़ने को लाचार हैं।



नगवां के किसान ललन चौधरी, गायघाट के लकड़ू विन्द, मार्कंडेय यादव, सुदामा राय, राजाधर राम और भुनेश्वर तिवारी सहित अन्य कई किसानों का कहना है कि इस बार टमाटर का उत्पादन पिछले सालों की अपेक्षा बेहतर हुआ है। यही कारण है कि बाजार में इसके भाव गिर गए हैं। जदयू के प्रदेश सचिव विनोद कुमार राय का कहना है कि किसानों को सरकारी स्तर पर न तो संरक्षण मिलता है और न ही उत्पादित फसल को उचित मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था है। नतीजतन टमाटर की खेती से किसानों का मोहभंग हो रहा है। जदयू नेता ने इस गंभीर समस्या की ओर शासन का ध्यान आकृष्ट कराया है, ताकि किसानों का लागत खर्च निकल सके।


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