Holika Dahan Muhurat 2023: इस साल तीन दिनों की हो रही होली, होलिका दहन के बाद एक दिन छोड़कर खेला जाएगा रंग



बक्सर, गिरधारी अग्रवाल। हिंदुओं का प्रमुख त्योहार रंगोत्सव मनाने की तैयारी महीने पूर्व शुरू हो जाती है, इसलिए यह जानकारी जरूरी हो जाती है कि अपने यहां होली कब मनाई जाएगी। वाराणसी पंचांग को आधार मानकर मनीषियों ने बताया कि इस बार की होली तीन दिनों की हो रही है। होलिका दहन छह-सात मार्च की मध्य रात्रि में होने से होलिका दहन के अगले दिन रंग न खेलकर शास्त्रीय विधान के अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में आठ मार्च को रंगोत्सव मनाया जाएगा।

हालांकि, काशी एवं उसके समीपस्थ क्षेत्र में परंपरा के अनुसार, रंग की होली सात मार्च दिन मंगलवार को ही मनाई जाएगी लेकिन शेष स्थानों पर रंग की होली आठ मार्च दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

कर्मकांडियों ने बताया कि होलिका दहन के लिए तीन शर्तों का अनुपालन किया जाता है। पहली शर्त है कि फाल्गुन कृष्णपक्ष की पूर्णिमा तिथि हो एवं दूसरा रात का समय हो। तीसरी शर्त है कि भद्रा बीत चुकी हो। हालांकि, विषम परिस्थितियों में पुच्छ भद्रा रहित होलिका दहन भी किया जा सकता है।



प्रसिद्ध कर्मकांडी आचार्य अमरेंद्र कुमार शास्त्री उर्फ साहेब पंडित ने बताया कि पूर्णिमा तिथि का आगमन छह मार्च को दिन में 3:57 बजे हो रहा है। हालांकि, इसी के साथ भद्रा भी प्रारंभ हो रहा है, जो शेष रात्रि 4:49 बजे तक रहेगा। ऐसी परिस्थिति में भद्रा पुच्छ काल में भी होलिका दहन करने का शास्त्रीय विधान है।


वाराणसी पंचांग के अनुसार, छह-सात मार्च की रात भद्रा पुच्छ रात 12:23 से रात्रि 1:35 बजे के मध्य होलिका दहन का मुहूर्त निर्धारित किया गया है। इसी समयावधि में विधि-विधान के अनुसार, देश में भेदभाव को ध्यान में रखते हुए "ओम होलिकायै नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए होलिका दहन करना चाहिए। इससे राग, द्वेष, क्लेश, दुख आदि अनिष्ट कारकों का नाश होता है।


होलिका दहन की भस्म को काफी पवित्र माना गया है। होलिका की अग्नि में जौ-चने की बाली भुनने से शुभता का वरदान मिलता है। मान्यता है कि होली के दिन होलिका के भस्म का टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु की वृद्धि होती है।

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