Bihar: वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व में 1400 एकड़ में फैला है ग्रासलैंड, फिर भी भोजन की तलाश में भटक रहे भालू



वाल्मीकिनगर, संवाद सूत्र: वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) के जंगल से भोजन व पानी की तलाश में भालू रिहायशी इलाकों में आ रहे हैं। पिछले एक साल में 15 बार भालुओं के जंगल से बाहर निकलने की घटना हुई है। भालू कई लोगों पर हमला भी कर चुके हैं। भालुओं का पसंदीदा भोजन शहद है, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा जंगल से शहद उतार लेने से इन भालुओं के समक्ष भोजन का संकट खड़ा हो गया है।
उपयुक्त वातावरण होने के कारण भालुओं की संख्या में लगातार इजाफा तो हो रहा है, लेकिन भोजन की तलाश में ये भालू रिहायशी इलाकों का रूख करने लगे है। मादा भालू तो अपने शावकों की सुरक्षा के लिए सामने पड़ने वाले लोगों पर हमला भी कर देती है। ऐसे हमलों में कई लोग घायल हो चुके हैं।

वीटीआर में अवैध कटान से एक ओर जहां जलवायु और पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर वन्य जीवन और मानव के बीच बढ़ते संघर्ष के रूप में कीमत चुकानी पड़ रही है। जंगल विरल होने से वन्य जीवों के सामने आवास और भोजन की समस्या खड़ी हो गई है।

वीटीआर के बनकटवा गांव से दो किलोमीटर दूर जंगल में मंगलवार की सुबह एक भालू का शव मिला था। गश्त कर रहे वनकर्मियों ने शव देखकर घटना की जानकारी डीएफओ व अन्य अधिकारियों को दी थी। पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सक मनोज कुमार टोनी के अनुसार भालू के शरीर पर जख्म के कोई निशान नहीं मिले थे। उन्होंने बताया कि भालू शरीर से काफी कमजोर व बीमार था और उसके पेट में कुछ नहीं मिला। उसके दांत पूरी तरह घिसे हुए थे और अधिक उम्र में भूख के कारण उसकी मौत की आशंका बताई गई थी।
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890 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगल में 1400 एकड़ में ग्रासलैंड विकसित किया गया है। जिससे शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस ग्रासलैंड में हिरण और नीलगाय आमतौर पर सहजता से नजर आने लगे हैं। टाइगर रिजर्व में घास के मैदानों और गंडक नदी के आस-पास शाम के समय हिरणों के झुंड अक्सर दिख जाते हैं।
वीटीआर में अनेक प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं। इनमें शाकाहारी जीवों में बड़ी संख्या में जंगली सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, खरगोश आदि देखने को मिल जाते हैं। मांसाहारी जीवों में बाघ, तेंदुआ, भालू, सियार, लोमड़ी आदि भी जंगल में हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर टीमें गश्त करती रहती हैं। यही कारण है कि वीटीआर अब वन्यजीवों के लिए सुरक्षित ठिकाना साबित हो रहा है।
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वैसे तो वीटीआर में शाकाहारी जानवरों की गणना नहीं की जाती है, लेकिन बाघों की गणना के लिए लगे कैमरों में भालुओं की संख्या 150 से अधिक दिखाई दी है। तीन साल पहले यहां भालुओं की संख्या मात्र 70 थी।
भालू का मुख्य भोजन दीमक व शहद है। वीटीआर के जंगल में जब भोजन नहीं मिलता है तो वे भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं। दो मई 2021 को चिउटहां वन क्षेत्र के जिमरी गांव के सरेह में जंगल से निकले भालू ने जिमरी गांव निवासी अखिलेश राम की पत्नी बिंदु देवी पर हमला कर घायल कर दिया था। इस घटना के चार महीने पहले भी दो भालू वाल्मीकिनगर के रिहायशी इलाके में पहुंच गए थे।

बयान
"जंगल में शाकाहारी जानवरों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। वन्य जीवों पर शिकारियों की नजर न पड़े, इस पर रोक के लिए गहन निगरानी हो रही है। भालुओं के लिए जंगल के अंदर पर्याप्त भोजन है। वनकर्मियों की गश्त लगातार जारी है। वीटीआर में वन्यजीवों की खाद्य शृंखला मजबूत करने के लिए घास के मैदानों का वैज्ञानिक प्रबंधन शुरू किया गया है।"
-अवधेश कुमार सिंह, रेंजर, वाल्मीकिनगर

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