Munger: हार्डकोर नक्सलियों की तलाश में CRPF व पुलिस का ऑपरेशन SADO, 22 फरवरी को बरामद हुई थीं 2 कैन IED



जागरण संवाददाता, मुुंगेर: पुलिस प्रक्षेत्र मुंगेर स्थित मुंगेर, जमुई और लखीसराय जिले के नक्सल प्रभावित सीमा क्षेत्रों में संयुक्त रूप से ऑपरेशन सैडो (SADO- सर्च एंड डेस्ट्रॉय ऑपरेशन) चलाया जा रहा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि पुलिस और सीआरपीएफ के इस संयुक्त प्रयास के आगे नक्सलियों के मंसूबे विफल होंगे। पुलिस को मिले इनपुट के आधार पर उक्त तीनों जिलों के सीमा क्षेत्र में पुलिस की सख्ती बढ़ा दी गई है।

जिले के नक्सल प्रभावित प्रखंड धरहरा और हवेली खड़गपुर के जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में पुलिस और सीआरपीएफ जवानों ने अपनी मूवमेंट को बढ़ा दिया है। पुलिस अधीक्षक खुद हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं।
पुलिस को मुंगेर और जुमई जिले के सीमावर्ती क्षेत्र भीम बांध में नक्सलियों के होने की सूचना मिली थी। प्राप्त सूचना के अनुसार हार्डकोर नक्सली सुरेश कोड़ा, बहादुर काेड़ा, दयानंद कोड़ा और टुनटुन कोड़ा क्षेत्र में मौजूद हैं। इस सूचना के आधार पर पूरी टीम को सतर्क किया गया और सर्च अभियान के तहत ऑपरेशन सैडो चलाया जा रहा है। अभियान में डॉग स्क्वायड टीम का भी सहारा लिया जा रहा है।
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पहाड़ी क्षेत्रों में खोजी कुत्ते के साथ सर्च अभियान चलाते सीआरपीएफ के जवान, सौजन्य- पुलिस
पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर एएसपी अभियान और सीआरपीएफ कोबरा बटालियन-215 के जवान पहाड़ी और जंगली क्षेत्राें में सर्च अभियान चला रहे हैं। पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम की सक्रियता के चलते नक्सलियों को अपने नापाक इरादों में सफलता नहीं मिल पा रही है।
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22 फरवरी को पुलिस अधीक्षक को नक्सल प्रभावित पैसरा के जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों के होने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर एएसपी अभियान कुणाल और 215 सीआरएपीएफ बटालियन के कमांडेंट और जवानों के साथ ऑपरेशन सैडो चलाया गया था। अभियान के दौरान दो कैन आइइडी (IED) मिले, जिन्हें बाद में निष्क्रिय किया गया।
सर्च अभियान से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं


ऐसे तो नक्सलियों की धरपकड़ के लिए लगातार कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया जाता है। 2022 में भी तीन से चार बार विशेष सैडो ऑपरेशन मुंगेर जिला और सीमावर्ती इलाकों में चलाया गया था। इस अभियान में टीम को सफलता भी मिली थी। कुछ नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई थी और आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए थे।



एसपी ने कहा कि जंगलों में नक्सलियों के छिपे होने की सूचना मिलती है। ऐसे में ऑपरेशन चलाया जाता है। यदि नक्सली मुख्य धारा से नहीं जुड़ते हैं या फिर सरेंडर नहीं करेंगे तो सीधा सफाया किया जाएगा। जिले को लगभग पूरी तरह नक्सलियों से मुक्त करा दिया गया है। पैसरा गांव में सीआरपीएफ कोबरा कैंप खुलने से नक्सलियों की गतिविधियों पर लगभग विराम लग गया है। कुछ अभी फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा है।




नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने और गिरफ्तारी को लेकर पैसरा गांव में सीआरएफ का कैंप 2022 से काम रहा है। कैंप खुलने के बाद से ही नक्सलियाें की हालत पतली हुई है और लोगों में नक्सलियों की दहशत काफी हद तक कम हुई है। पहले लोगों में नक्सलियों का खौफ रहता था, लेकिन सीआरपीएफ और कोबरा कैंप की पदस्थापना से नक्सलियों का खौफ बहुत हद तक कम हो गया है। पैसरा गांव तक जाने के लिए सड़कें भी बनाई गई हैं। अब नक्सलियों को इन क्षेत्रों में घुसने के लिए सौ बार सोचना पड़ रहा है।


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