Munger: सीमांचल के पूर्णिया, किशनंगज और अररिया में भी लोन के नाम पर की जानी थी ठगी, पुलिस ने फेर दिया पानी



जागरण संवाददाता, मुंगेर: फर्जी जन लक्ष्मी माइक्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर कई जिलों में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की हुई ठगी के बाद सरगना की नजर सीमांचल के पूर्णिया, किशनगंज और अररिया जिलों पर थी। इसकी प्लानिंग भी पूरी कर ली गई थी। इस बीच मुंगेर में केस होने के बाद सभी ने इरादा बदल दिया। मुंगेर पुलिस ने ठगों के सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया। शनिवार को पुलिस गिरफ्त में आए मधेपुरा के शातिर दिनेश कुमार ने यह जानकारी वासुदेवपुर पुलिस को दी है।

मधेपुरा, कटिहार, भागलपुर और लखीसराय में ठगी करने के बाद मुंगेर में जन लक्ष्मी माइक्रो फाइनेंस कंपनी का कार्यालय खोला गया था। कंपनी का सीधा कहना था कि एक जिले में 15 दिन रहना है और ठगी करने के बाद दूसरे जिलों में चले जाना है। इस फर्जी कंपनी का तथाकथित ब्रांच मैनेजर सहरसा जिले का प्रमोद शुक्ला उर्फ राकेश कुमार है।
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ठगी के मास्टरमाइंड प्रमोद शुक्ला का विजिटिंग कार्ड
पुलिस की गिरफ्त में आए दिनेश ने बताया कि पूर्णिया, किशनंगज और अररिया जिलों में भी माइक्रो फाइनेंस के नाम पर ठगी की जानी थी। इस फर्जी कंपनी में कुल 10 लोग काम कर रहे थे, जिनमें से 4 ऑफिस में बैठते थे और बाकी सभी क्षेत्र में जाते थे। दिनेश ने पुलिस को बताया कि उसे आठ हजार रुपये मिलते थे। गिरोह में शामिल अन्य सभी काे 8 से 15 हजार के बीच हर माह पैसा मिलता था।

दिनेश ने पुलिस को बताया कि सबसे पहले मधेपुरा में जन लक्ष्मी माइक्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कार्यालय खोला गया था। 55 हजार रुपये ऋण दिलाने के नाम पर भोली-भाली महिलाओं और पुरुषों से 28 सौ से तीन हजार रुपये लिया जाता था।
ठगी के इस खेल में मधेपुरा जिले के महेशुआ निवासी नीरज कुमार भी आरोपित है। फिलहाल पुलिस नीरज को ट्रेस नहीं कर पाई है। मुंगेर में संचालित कार्यालय के पास से मिली बाइक नीरज कुमार की ही है। बाइक की डिटेल से नीरज का नाम सामने आया है और पीड़ित ने भी नीरज पर केस दर्ज कराया है। पुलिस इसकी कुंडली खंगाल रही है। ठगी में शामिल कुल 8 लोगों पर वासुदेवपुर ओपी में मुकदमा दर्ज है।

वासुदेवपुर पुलिस का कहना है कि नीरज सहित सात अन्य फरार नामजद आरोपितों के पीछे पुलिस लगी हुई है। ठगी गिरोह में शामिल दिनेश कुमार की गिरफ्तारी मोबाइल फोन के कारण ही संभव हुई। दिनेश को कंपनी की ओर से मिले मोबाइल में खुद का पर्सनल सिमकार्ड लगाना महंगा पड़ गया। कंपनी के मोबाइल में दो सिमकार्ड स्लॉट थे, जिसमें एक में उसने अपना पर्सनल सिमकार्ड लगा रखा था।  जब फर्जी माइक्रो फाइनेंस कंपनी के लोग मुंगेर से फरार हुए तो दिनेश से मोबाइल और सिमकार्ड ले लिया गया था।  बाद में जब दिनेश ने अपना पर्सनल सिमकार्ड अपने दूसरे मोबाइल में लगाया तो मोबाइल की लोकेशन पुलिस के हाथ लग गई और उसकी गिरफ्तारी संभव हुई।

जन लक्ष्मी माइक्रो फाइनेंस के नाम पर ठगी करने वालों के तार कोसी के मधेपुरा और सहरसा जिले से जुड़े हैं। तथाकथित मैनेजर प्रमोद शुक्ला उर्फ राकेश सहरसा जिले का रहने वाला है, जबकि फरार नीरज कुमार मधेपुरा का है। पुलिस के अनसुार शनिवार को पुलिस गिरफ्त में आया दिनेश कुमार भी मधेपुरा जिले का ही निवासी है। ऐसे में पुलिस को विश्वास है कि ठगी की पूरी पटकथा कोसी में लिखी गई थी। मुंगेर पुलिस भी कोसी इलाके के जिलों की पुलिस से संपर्क में है।

पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने बताया कि ऋण का झांसा देकर ठगी करने वाले लोगों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। इस पूरे प्रकरण का पर्दाफाश कर लिया गया है। एक शातिर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूरे गिरोह को दबोचने में लगी हुई है, जल्द ही सब गिरफ्तार होंगे। फरार नामजद आरोपितों पर पुलिस नजर रख रही है।

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