Sitamarhi News: पुणे की पुलिस ने 'दयावान चोर' उजाले को गिरफ्तार किया तो फिर सुर्खियों में आया जोगिया गांव



संवाद सहयोगी, (पुपरी) सीतामढ़ी: पुणे की पुलिस द्वारा मो. इरफान उर्फ उजाले की गिरफ्तारी किए जाने के बाद पुपरी थाना क्षेत्र का गाढ़ा पंचायत अंतर्गत जोगिया गांव एक बार सुर्खियों में आ गया है। बताया जाता है कि पुणे की पुलिस ने शनिवार को महंगी कार चोरी के आरोप में पुणे में ही उसे गिरफ्तार किया है। हालांकि इससे पहले भी दिल्ली एनसीआर, आगरा, लखनऊ, पंजाब, गोवा समेत अन्य राज्यों में उसके खिलाफ 26 केस दर्ज है। कई बार वह जेल भी जा चुका है।

साल 2021 के अक्टूबर में गाजियाबाद के कविनगर स्थित एक कोठी में करोड़ों की चोरी में गिरफ्तार कर इसके विरुद्ध गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। इधर, उजाले की गिरफ्तारी को लेकर स्वजनों को कोई जानकारी नही है। फिलहाल घर पर उसकी बूढ़ी मां रहती है। आस-पड़ोस के लोग भी उजाले की गिरफ्तारी पर अंजान है। लोगों का कहना है कि करीब एक साल से वह घर नहीं आ रहा है।
दिखने में सीधा-सादा रहने वाला इरफान क्षेत्र में उजाले के नाम से जाना जाता है। वह और गाढ़ा गांव वर्ष 2017 में तब सुर्खियों में आए जब दिल्ली में करोड़ों के आभूषण व लग्जरी वाहनों की चोरी के मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। दिल्ली, कानपुर, आगरा, जालंधर आदि शहरों में चोरी की वारदात में शामिल होने का पता चलने के बाद वह राष्ट्रीय मीडिया में दयावान चोर के रूप में छा गया था। इसकी वजह यह है कि शुरू में लग्जरी वाहनों से घर आने के बाद उसने इलाके में पैसे के बल पर पहचान बनाना शुरू कर दिया। इलाके में जहां भी थियेटर व आर्केस्ट्रा होता वह वहां पहुंच जाता और हजारों रुपये क्षण भर में लुटा देता।

उजाले भले ही पुलिस की नजर में शातिर चोर हो, लेकिन गांव वालों की नजर में उसकी छवि कुछ और ही है। वह गांव व आसपास के लोगों का सहयोग करना, गांव की जनहित से जुड़ी समस्याओं का अपने दम पर निदान करना, किसी की बेटी की शादी व बीमार के इलाज में भी मदद करने लगा था। इसी कारण वर्ष 2021 के अक्टूबर में पंचायत चुनाव की तैयारी के दौरान गाजियाबाद में हुई करोड़ो की चोरी में कविनगर पुलिस ने लग्जरी वाहन के साथ उसकी गिरफ्तारी की, लेकिन इसके बावजूद पंचायत चुनाव में उसकी पत्नी ने जिला पार्षद पद पर जीत दर्ज की थी। इससे उसके समर्थक खासा उत्साहित थे। अब गिरफ्तारी के साथ ही पुलिस ने उसपर फिर से शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

ग्रामीण बताते हैं कि पंचायत चुनाव में उसकी पत्नी की जिला परिषद सीट पर जीत के कुछ ही दिनों बाद उजाले जमानत पर घर आकर रहने लगा था। इस दौरान वह गांव में घूम-घूम कर लोगों की समस्याओं की जानकारी लेने लगा। वह विकास को लेकर क्षेत्र में चर्चा के लिए लोगों से मिलता-जुलता था। इसके ठीक छह माह बाद उसकी तबीयत भी खराब हुई थी, लेकिन इलाज के बाद ठीक होते ही वह फिर बाहर चला गया। इधर, पंचायत चुनाव के बाद से उसका किसी भी सामाजिक गतिविधि में योगदान नहीं देखा जा रहा है।


अन्य समाचार