Bihar: शांति का संदेश लेकर लौरिया पहुंचे बौद्ध भिक्षु, नन्दनगढ़ में माथा टेका; अशोक स्तंभ की परिक्रमा भी की



लौरिया, संवाद सूत्र। थाईलैंड से शांति का संदेश लेकर चंपारण पहुंची बौद्ध भिक्षुओं की टोली शुक्रवार को लौरिया पहुंची। उन्होंने शुक्रवार को अशोक स्तंभ की परिक्रमा की। बौद्ध भिक्षुओं ने श्रद्धा भाव से अशोक स्तंभ की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना की।
पदयात्रा कर रहे भिक्षुओं के मुख्य गुरु अजान पवट ने बताया कि बौद्ध भिक्षुओं की टीम थाईलैंड से चलकर कोलकाता पहुंची थी, जो 11 दिसंबर को कोलकाता से चलकर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर पहुंची। फिर कुशीनगर से बौद्ध भिक्षुओं का जत्था 27 फरवरी को पैदल रमपुरवा के लिए रवाना हुई थी।

उनके साथ आए धर्मगुरु अजान डून ने बताया कि बौद्ध भिक्षुओं ने अशोक स्तंभ और नंदनगढ़ बौद्ध स्तूप पर पैदल मार्च किया। बौद्ध भिक्षुओं की टोली दो दिनों तक लौरिया के बिसुनपुरवा के खेल मैदान में रहेगी। वे लोग रविवार की सुबह लौरिया से अरेराज, केसरिया, वैशाली, नालंदा, राजगीर और बोधगया के लिए प्रस्थान करेंगे।
बौद्ध भिक्षु भगवान बुद्ध से जुड़े सभी बौद्ध स्तूपों पर पूजा-अर्चना करते हुए कोलकाता लौट जाएंगे, जहां से वे थाईलैंड अपने देश लौटेंगे। बौद्ध भिक्षुओं ने बताया कि लौरिया अशोक स्तंभ और नन्दनगढ़ बौद्ध भिक्षुओं के लिए पूज्य स्थल है। यहां भगवान बुद्ध ने मुंडन कराया था।
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उन्होंने बताया कि बुद्ध जिन रास्तों से होकर गुजरे थे, उन्हीं रास्तों पर पगधूली की तलाश में वे पैदल चलते हैं। भगवान बुद्ध लौरिया, अरेराज, केसरिया, वैशाली, नालंदा, राजगीर और बोधगया गए थे। उसी रास्ते से थाईलैंड पहुंचे। सभी 96 बौद्ध भिक्षु बोधगया पहुंचकर अपना पद यात्रा समाप्त कर अपने देश को लौट जाएंगे।
बौद्ध भिक्षुओं की टीम जीपीएस के माध्यम रामपुरवा से नरकटियागंज होते हुए पैदल शुक्रवार के दिन लौरिया पहुंचे थे। सभी बौद्ध भिक्षुओं ने पिछले साल की भांति इस साल भी बिसुनपुरवा खेल मैदान में डेरा डाला है, जहां से वे शुक्रवार के दिन स्नान ध्यान और अल्पाहार करेंगे।

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