Bihar: पिड़िकिया खाकर साधु ने दुकानदार को दी सलाह, फिर हुए गायब; बेहद रोचक है गोपालगंज की फेमस मिठाई का किस्सा



गोपालगंज, जागरण संवाददाता: गोपालगंज जिले में जब बात मिठाई की हो तो पिड़िकिया का नाम सबसे पहले जुबां पर आता है। यह शुद्ध खोआ और घी में तैयार की जाती है।
दूध से पहले खोआ बनाया जाता है। मैदे में शुद्ध खोआ भरकर पिड़िकिया बनाई जाती है। यहां की पिड़िकिया, मिठाइयों में लोगों की पहली पसंद है। तभी तो गोपालगंज और खासकर थावे वाली माता का दर्शन करने आने वाले लोग पिड़िकिया खाना व साथ लेकर जाना नहीं भूलते हैं।

पिड़िकिया की सबसे ज्यादा खरीदारी थावे आने वाले श्रद्धालु ही करते हैं। इसके बावजूद सरकारी स्तर पर इसे अब तक विशेष पहचान नहीं मिल सकी। हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर एक जिला-एक उत्पाद के तहत पिड़िकिया को जोड़ने के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की बात कही गई थी।
अब तक एक जिला-एक उत्पाद के तहत पिड़िकिया को नहीं जोड़ा जा सका। वहीं, केंद्र सरकार की वोकल फॉर लोकल नीति के तहत रेलवे की ओर से एक स्टेशन-एक उत्पाद योजना के तहत थावे जंक्शन पर पिड़िकिया की बिक्री के लिए कियोस्क स्थापित किया जाना था। अब तक यह कियोस्क स्थापित नहीं किया जा सका है।
गोपालगंज में गर्भवती को नहीं मिली एंबुलेंस, सरकारी अस्पताल के गेट के पास ई-रिक्शा में दिया बच्चे को जन्म यह भी पढ़ें
बता दें कि लोगों से फीडबैक लेने के बाद जिला प्रशासन ने पिड़िकिया को एक जिला, एक उत्पाद से जोड़ने की कवायद तेज कर दी थी। तब उम्मीद थी कि ओडीओपी से जुड़ने के बाद जिले में व्यापक स्तर पर पिड़िकिया बनाने का कार्य किया जाएगा। इससे रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ।

शुरुआत में गौरीशंकर साह ने यहां पिड़िकिया बनाना शुरू किया। वे सिवान जिले के जीरादेई थाना के नरेंद्रपुर गांव के लक्ष्मी साह के पुत्र हैं। पिता की मृत्यु हो जाने के बाद गौरी शंकर साह अपने चार भाइयों के साथ अपने मामा के घर थावे के विदेशी टोला गांव में आकर रहने लगे।
गोपालगंज: कटेया में किशोरी को बहलाकर युवक ने बगीचे में किया दुष्कर्म, मामला दर्ज होने के बाद आरोपी गिरफ्तार यह भी पढ़ें
अपने मामा बुनिलाल साह के यहां रहकर पिड़िकिया का कारोबार करने लगे। मेला और देहातों में जाकर घूम-घूमकर पिड़िकिया बेचते थे। इसके साथ ही थावे स्टेशन के पास मिठाई की दुकान भी चलाते थे। उनके स्वजन की ओर से बताया गया कि एक दिन गौरी शंकर साह स्टेशन स्थित अपने दुकान पर बैठे थे।
एक साधु आए मिठाई खाने के लिए मांगे और बोले कि हमेशा मिठाई शुद्ध घी में बनाना। मिठाई देने के बाद दुकानदार को साधु आशीर्वाद देकर चले गए। जैसे ही दुकानदार पीछे घूमे तो पाया कि साधु बाबा अदृश्य हो चुके हैं। तब से शुद्ध घी से पिड़िकिया बनाई जाने लगी।
Bihar: गोपालगंज में यूपी की युवती से प्रेमी ने की दरिंदगी, दुष्कर्म के बाद अस्पताल में कराया भर्ती; हालत गंभीर यह भी पढ़ें
गौरी शंकर साह चार भाई थे। सबसे बड़े भाई गौरीशंकर साह थे। इसके बाद क्रमश: जटा शंकर साह, शिवशंकर साह और विश्वनाथ साह थे। इन चारों भाई के परिवार से आज लगभग 100 परिवार है।

स्वजन की ओर बताया गया कि पिड़िकिया बनाने का काम लगभग 1947 से किया जा रहा है। इन लोगों की दुकान थावे में 12, गोपालगंज में 2, बड़हरिया में 2, सिवान में 1 और पटना में 1 है।

चारों भाइयों के परिवार के लोगों की आजीविका पीड़किया के धंधे से चलती है। सभी दुकानों को चलाने में लगभग 100 कामगार लगे रहते हैं। इनलोगों की रोजी-रोटी इन्हीं दुकानों से चलती है।


दुकानदार दीनबंधु प्रसाद, धनजी प्रसाद और नंदजी प्रसाद ने बताया कि पिड़िकिया शुद्ध घी और खोआ डालकर बनाई जाती है। एक दुकान से प्रतिदिन लगभग 50 किलो पिड़िकिया की बिक्री हो जाती है। सोमवार और शुक्रवार को इसकी 75 किलो से अधिक होती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र में इसकी बिक्री एक क्विंटल से अधिक हो जाती है।


बताया गया कि गौरीशंकर की सभी दुकानों में प्रतिदिन पिड़िकिया बनाई जाती है। इससे लोगों को ताजा पिड़िकिया मिल जाती है। लोग सामने पिड़िकिया बनती देख इसे खरीदना पसंद करते हैं।
दुकानों पर साफ-सफाई का ख्याल रखा जाता है। अपने निरीक्षण के दौरान थावे जंक्शन पहुंचे वाले वाराणसी रेलमंडल के से लेकर जोन तक के अधिकारी पिड़िकिया जरूर खरीदते हैं। साथ ही अपने घर भी ले जाते हैं।

अन्य समाचार