International Women's Day: ट्रेन हादसे में मां को खोया, एक हाथ गंवाया फिर भी राज्‍य को दिलाया गोल्‍ड मेडल



हरनौत (नालंदा), राकेश कुमार वीरेंद्र: जिले की कई ऐसी कई महिलाएं और बालिकाएं हैं, जिन्होंने अनेक क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। किसी ने खेल में तो किसी ने खेती-किसानी में अपनी पहचान बनाई है। आइए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इन महिलाओं के संर्घष और सफलता की कहानी...

हरनौत : 10वीं की छात्रा ऋषिका राज ने महज छः महीने की प्रैक्टिस में निशाने बाजी में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। अभी उनकी उम्र लगभग साढ़े 14 साल है। उनकी झोली में राज्य और प्री- नेशनल निशानेबाजी का 15 मेडल आ चुके हैं।

ऋषिका राज ने 65वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में इंडियन यूथ ट्रायल टीम के लिए क्वालीफाई की थी। चाहे 10 मीटर एयर पिस्टल हो या 25 मीटर फायर आर्म्स, इनका निशाना लक्ष्य के बीचो-बीच लगता है। इन्होंने कई गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं। ऋषिका ने 10 मीटर एयर पिस्टल मैच में कई गोल्ड मेडल जीत रखे हैं।
कल्याण बिगहा इंडोर शूटिंग रेंज के प्रशिक्षक कौशल नोगरैया कहते हैं कि सांस पर नियंत्रण एवं पिस्टल पर सधी हुई उंगलियों से जब ट्रिगर दबाती है तो तय हो जाता है कि ऋषिका का निशाना गोल्ड के लिए ही लगेगा।
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कल्याण बिगहा शूटिंग रेंज में इस बालिका ने मात्र छः महीने की प्रैक्टिस में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है।
बीते साल 18 से 24 सितंबर के बीच पश्चिम बंगाल के आसनसोल में आयोजित 6वां ईस्ट जोन शूटिंग चैम्पियन शिप और 24वें आल इंडिया कुमार सुरेंद्र सिंह इंटर स्कूल शूटिंग चैम्पियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल के अलग-अलग इवेंट्स में तीन गोल्ड मेडल हासिल किए थे, जबकि 25 मीटर फायर आर्म्स मैच में सिल्वर एवं ब्रान्ज पदक मिला था।

इस मैच में बिहार को कुल 16 मेडल मिले थे, जिसमें छः ऋषिका की झोली में आया था। बीते साल 2022 में ही 31अगस्त से छः सितम्बर के बीच हरनौत के कल्याण बिगहा एवं बेगूसराय में आयोजित 32वें बिहार स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल मैच में 5 गोल्ड मेडल प्राप्त किए थे।
इनमें एक गोल्ड मेडल 25 मीटर फायर आर्म्स में हासिल में मिला था। वहीं, ऋषिका अब अन्तर्राष्टीय स्तर के मैच में गोल्ड जीतने का लक्ष्य लेकर खेल रही है। इनके पिता मुकेश कुमार आर्मी से सेवानिवृत्त होकर के कोतवाली थाना (पटना) में डायल-112 में हवलदार हैं।

गोल्डी कुमारी ने पैरा एथलेटिक नेशनल चैंपियनशिप में हाल ही में बिहार को गोल्ड मेडल दिलाया है। इन्होंने गोला फेंक में गोल्ड मेडल हासिल किया थी। गोल्डी कुमारी हरनौत के संत पाल इंग्लिश स्कूल में आठवीं की छात्रा है।
वह बख्तियारपुर (पटना) प्रखंड के मिसी की रहने वाली है। गुजरात के खेड़ा जिला के मंडा भगोल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, नडियाड में 12वीं राष्ट्रीय जूनियर और सब-जूनियर पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आयोजन 27 से 29 जनवरी के बीच हुआ था।


इसमें सब जूनियर वर्ग से यह बालिका खेली थी। गोल्डी की उपलब्धि पर सभी को नाज है। गोल्डी को सफलता पर पैरा लिंपिक कमेटी आफ बिहार और पारा स्पोर्ट्स एसोसिएशन आफ बिहार ने बधाई दी है।
दिव्यांग आयुक्त डा. शिवा जी ने भी इन्हें बधाई दी है। संत पाल इंग्लिश स्कूल के निदेशक बीजू थामस ने बताया कि गोल्डी का एक हाथ एक ट्रेन हादसे में बचपन में कट गया था, जबकि उसी हादसे में उसकी की मां की मौत हो गई थी। वह प्रारंभिक स्तर से संत पाल में ही पढ़ाई कर रही है। गोल्डी के पिता संतोष कुमार किसान हैं।


हरनौत : राजगीर की मधु पटेल मोती की खेती कर समेकित कृषि की फलक पर चमक रहीं हैं। वह इस तरह की जिले की एकमात्र किसान हैं। इससे वह सालाना 12 से 15 लाख रुपए की आमदनी कर लेती हैं।
कई लोगों को रोजगार भी मिल जाता है। वह मछलियों के तालाब में ही मोती उपजा रही हैं। इस कारण सीप को खाने के लिए अलग से शैवाल नहीं देना पड़ता है।

मधु के अनुसार, शुरू में यह चुनौतीपूर्ण व्यवसाय लग रहा था, लेकिन अब सब कुछ आसान हो गया है। मधु तीन साल से मोती की खेती कर रहीं हैं। इनके तालाब में इन दिनों चार हजार सीप हैं, जिसमें मोती का निर्माण हो रहा है।
यहां दो तरह की मोतियां उपजायी जा रहीं हैं। एक प्रकार की मोती की कीमत तीन सौ रुपए तक होती है। हाफ कटिंग प्रकार की मोतियों को कीमत 1200 से डेढ़ हजार रुपए तक होती है। मधु पटेल बताती हैं कि समेकित खेती का यह पार्ट टाइम बढ़िया व्यवसाय है।

घर में छोटे टैंक में भी इसका उत्पादन कर अच्छी कमाई की जा सकती है। इन्होंने मोती की खेती का प्रशिक्षण भुवनेश्वर से ली हैं। मधु मूल से हिलसा के गजिन बिगहा निवासी हैं।

हरनौत : सुमन राज की पढ़ाई मैट्रिक के बाद छूट चुकी थी। इच्छा थी कि उच्च शिक्षा प्राप्त करे, लेकिन गरीबी और सामाजिक जड़ता ने पढ़ाई में आगे की राह मुश्किल कर दी। घर वालों ने शादी भी कर दी।

ससुराल में जीविका से जुड़ी तो इससे उन्‍हें संबल मिला। अब वह समेकित कृषि कर साल में कम से कम डेढ़ लाख रुपए कमा रही है। और स्नातक प्रथम वर्ष में है।
हरनौत प्रखंड के गंगटा गांव निवासी सुमन राज की स्वयं की अलग पहचान है। सुमन 15 जुलाई 2008 को जीविका से जुड़ी और लगातार आगे बढ़ती गई। वह दूध उत्पादन, मछली पालन कर आमदनी कर रहीं हैं। इन्होंने पति धन राज पासवान को किसानी के लिए प्रेरित किया।


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