सीतामढ़ी में तीन दोस्तों की 'बेकार चायवाला' की चर्चा, चाय पीने के साथ खा सकते हैं कप; नाम के पीछे ये है वजह



अमित सौरभ, सीतामढ़ी। जॉब सीकर, नहीं जॉब प्रोड्यूसर बनकर अपने साथ दूसरों के जीवन में भी खुशियां बिखेरी जा सकती है। इसी सोच के साथ सीतामढ़ी के तीन ग्रेजुएट युवाओं ने शुरू 'बेकार चायवाला' स्टॉल नाम से स्टार्टअप की शुरुआत की है। ग्रेजुएट चाय वालों की खूब चर्चा हो रही है।
आज के दौर में युवा डिग्री लेकर जहां बेरोजगारी का दंश झेलते हुए सरकार को कोसने में लगे रहते हैं, ऐसे में इन तीनों दोस्तों ने मिसाल पेश की है।

सीतामढ़ी कोर्ट के मुख्य द्वार के पास मर्यादा पथ में 'बेकार चायवाला' स्टाल बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। अहले सुबह से चाय पीने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। आशुतोष झा, गौरव झा और सौरभ झा ने साथ मिलकर ये चाय की दुकान चला रहे हैं।
समाज में दो तरह के लोग रहते हैं, एक जॉब करने वाले दूसरा जॉब देने वाले। नौकरी करने से एक परिवार चलता है, रोजगार का सृजन करने से कई परिवार चलते हैं। इसी सोच के साथ तीनों दोस्तों ने चाय की दुकान खोल डाली। तीनों बचपन के दोस्त हैं।
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आशुतोष ने बताया कि उसके पिता पुलिस से रिटायर हो गए हैं। मां की देखभाल के लिए उसने एक कंपनी से एरिया ट्रेडिंग मैनेजर की नौकरी छोड़ी। वहीं, गौरव झा मगध विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई कर गाना लिखा करते थे। सौरभ झा गोयनका कालेज से एकाउंट ऑनर्स कर रहे हैं। साथ ही बैडमिंटन में अंडर 17 और अंडर 19 के डिस्ट्रिक्ट चैंपियन भी हैं।
तीनों दोस्तों का कहना है कि वे हमेशा से अपना व्यवसाय करना चाहते थे। इसलिए उन लोगों ने ये स्टाल खोला है। दोस्तों की यह सोच है कि जिले के अन्य हिस्सों में भी वो स्टाल खोलेंगे और अपनी टीम में अन्य बेरोजगार युवाओं को भी जोड़ेंगे।

वहीं, गौरव झा ने बताया कि स्टाल का नाम 'बेकार चाय' इसलिए रखा। जिससे लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित हो सके। सिर्फ नाम ही बेकार है बाकी सब खास है।
आशुतोष झा बताते हैं हम अपने स्टॉल पर हाइजीन, क्लीननेस, विहेव, और क्वालिटी का विशेष ध्यान रखते हैं और यही हमारी पहचान है। सौरव झा बताते हैं कि प्रतिदिन लगभग 300 से 500 कप चाय हमलोग बेच लेते हैं।

बेकार चायवाला के नाम से धीरे-धीरे चर्चित हो रहे गौरव का कहना है कि उसके स्टाल पर जिस कप में चाय दी जाती है, वो यूनिक है। ये एडिबल कप में चाय पीने के साथ ही कप भी खा सकते हैं। ये कप विशेष रूप से बंगाल से मंगाई जाती है। उसका दावा है कि ऐसी कप में इतनी सस्ती चाय कहीं नहीं मिलेगी।

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