शिवहर: कचरा प्रबंधन से डेढ़ साल में बदली हरनाही पंचायत की तस्वीर, सड़कों पर अब नहीं दिखती गंदगी



नीरज, शिवहर। कचरे से कमाई की राह बिहार के शिवहर जिले की हरनाही पंचायत ने तलाश ली है। यहां के ग्रामीण अब घर का कूड़ा सड़क पर नहीं फेंकते। सूखा व गीला कचरा अलग-अलग जमा करते हैं, जिसे स्वच्छताकर्मी ले जाते हैं। गीले कचरे से खाद बनाते तो सूखे कचरे से प्लास्टिक व अन्य वस्तुओं को अलग कर बेचने की योजना तैयार हो चुकी है। कचरा प्रबंधन का यह काम बीते डेढ़ वर्ष में हुआ है यहां की मुखिया खुशबू देवी के प्रयास से। यह जिले की पहला ऐसी पंचायत है, जहां कचरा प्रबंधन इकाई की स्थापना हुई है।

मैट्रिक तक पढ़ी-लिखी 30 वर्षीय खुशबू देवी वर्ष 2021 में नौ हजार की आबादी वाली पंचायत हरनाही की मुखिया बनीं। श्रमिक अविनाश कुमार की पत्नी खुशबू ने यह जिम्मेदारी संभालने के साथ पंचायत को कचरे से मुक्ति दिलाने के साथ ही इससे ग्रामीणों को रोजगार देने का निर्णय लिया। ग्रामीण घर का कूड़ा इधर-उधर फेंकते थे। ऐसा नहीं करने के लिए उन्होंने ग्रामीणों को जागरूक करना शुरू किया। बाद में उनके अभियान को लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान से गति मिली। इसके तहत जिले की 20 पंचायतों में ओडीएफ प्लस अभियान शुरू हुआ। पंचायत स्तर पर कचरा प्रबंधन, घर-घर कचरे का उठाव और गांव की सड़कों की सफाई की योजना बनी। खुशबू ने इसमें बढ़-चढ़कर काम किया। उनके प्रयास सूखे व गीले कचरे के लिए घर-घर डस्टबिन का वितरण किया गया। पूरे जिले में सबसे पहले पांच लाख खर्च कर तीन महीने पहले कचरा प्रबंधन इकाई की स्थापना की गई। इससे 20 लोगों को रोजगार मिला है। इनमें स्वच्छताकर्मी भी शामिल हैं। ये ठेला लेकर घर-घर से गीले व सूखे कचरे का अलग-अलग उठाव करते हैं। कचरा प्रबंधन यूनिट में सूखे कचरे से प्लास्टिक, कागज और शीशे सहित अन्य वस्तुओं को अलग किया जाता है। इसे बेचा जाएगा। शेष बचे कचरे से खाद बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

जिम्मेदारी पर खरा उतरने का प्रयास
ग्रामीण उमेश राउत का कहना है कि पहले पंचायत की गलियों से गुजरने पर कई बार गंदगी के चलते परेशानी होती थी। अब ऐसी बात नहीं। ग्रामीण भी स्वच्छता के प्रति जागरूक हुए हैं। मुखिया का कहना है कि जनता ने जो जिम्मेदारी दी है, उस पर खरा उतरने का संकल्प है। स्वच्छता के क्षेत्र में भी वह लगातार काम करना है। कचरा प्रबंधन के चलते 20 ग्रामीणों को रोजगार भी मिला है।

जिला जल और स्वच्छता समिति के समन्वयक विद्यानाथ कहते हैं कि महीने में चार से पांच टन कचरे का उठाव हो रहा है। इनमें 50 प्रतिशत सूखा कचरा है। इसकी बिक्री से होने वाली आमदनी पंचायत के विकास पर खर्च की जाएगी। शीघ्र ही कचरे से खाद बनने लगेगी। इसकी भी बिक्री होगी। इस अभियन के तहत तैनात स्वच्छताकर्मियों और अन्य का भुगतान सरकारी स्तर पर किया जाता है। 300 से लेकर 500 रुपये प्रतिदिन दिया जाता है। पंचायत को ओडीएफ प्लस बनाने में बेहतर योगदान के लिए मुखिया को बीते दिनों उप विकास आयुक्त ने स्वच्छ शक्ति सम्मान 2023 से पुरस्कृत किया।

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