अता पता लापता...आभासी रूपचंद की 23 पत्नियां, 2 दर्जन बच्‍चे; अरवल के रेडलाइट एरिया का किस्सा सुन हर कोई दंग



अरवल/जहानाबाद, धीरज कुमार: अरवल में जाति आधारित गणना में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। नगर परिषद के वार्ड नंबर सात रेड लाइट एरिया में 23 महिलाओं के आधार कार्ड में उनके पति का एक ही नाम रूपचंद दर्ज है।
हैरत की बात यह है कि 23 पत्नियों का यह पति भी आभासी है, उसका कोई अता-पता नहीं है, लेकिन उसके नाम से यहां 23 परिवार सालों से पल-बढ़ रहे हैं।
परिवार में दो दर्जन बच्चे-बच्चियां हैं, जिनके पिता के नाम भी रूपचंद हैं। आभासी रूपचंद की जाति आधार कार्ड में नट दर्शाई गई है।

इस लिहाज से इन महिलाओं की गणना में सभी को 97 नंबर कोड दिया गया है, जो नट जाति के लिए निर्धारित है। रूपचंद के बारे में पूछने पर महिलाएं कहती हैं कि जो हमें रुपये देता, वहीं मेरा पति व बच्चों का पिता है।
इंदु देवी, दुर्गा देवी, परी कुमारी, निशा कुमारी, सूचन कुमारी, तन्नु कुमारी, अनामा कुमारी, माही कुमारी, रचना कुमारी, संगीता देवी, अरुषि कुमारी, रेशमा देवी, काजल कुमारी, नैना कुमारी, प्रज्ञा कुमारी के आधार कार्ड में पति का नाम रूपचंद दर्ज है।

जाति आधारित जनगणना के दौरान यह रिकॉर्ड देखकर प्रगणक राजीव रंजन राकेश भी भौचक्‍के रह गए। यहां गणना का कार्य पूरा कर डेटा को पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है।
रिहायशी इलाके में बसे इस रेड लाइट एरिया में नर्तकियों के कुल 120 घर हैं, जहां की महिलाएं व युवतियां नाच- गान कर अपनी जीविका चलाती हैं।

यहां बंगाल, उड़ीसा, झारखंड व बिहार के पूर्णिया की 50 से ज्यादा युवतियां हैं। इलाके के लोग बताते हैं कि जमींदारी प्रथा के समय ही यहां नर्तकियों को बसाया गया था। तब से पीढ़ी दर पीढ़ी यह धंधा निरंतर चल रहा है।
आजादी से पहले यहां कागज का उत्पादन केंद्र था, जिसका अब नामोनिशान नहीं है। जिला मुख्यालय से डेढ़ किमी मीटर दूर यह वार्ड सोन नदी के तट पर बसा है।
करीब 700 मीटर की दूरी पर एसपी आवास है। जिला प्रशासन ने इनके पुनर्वास की पहल भी की थी, लेकिन ये महिलाएं इस जीवन से बाहर नहीं आना चाहतीं।

दो दर्जन महिलाओं के पति के नाम रूपचंद होने के पीछे भी एक कहानी है। अरवल के तत्कालीन एसपी शफीउल हक ने वर्ष 2014 में रेड लाइट में छापेमारी कर 40 महिलाओं व युवतियों काे गिरफ्तार किया था।
जेल भेजने से पूर्व नाम-पता दर्ज कराते वक्त सर्वप्रथम एक महिला ने पति के रूप में रूपचंद का नाम दर्ज कराया। देखा-देखी बाकी ने भी रूपचंद का नाम लेना शुरू कर दिया। किसी ने उसे पति तो किसी ने पिता बताया।

पूछने पर एसपी को महिलाओं ने बताया था कि उनका कोई ठौर-ठिकाना नहीं होता, ऐसे में रुपया देने वाला रूपचंद ही उनका पति व पिता बन जाता है।
बाद में महिलाओं ने आधार कार्ड में भी यही नाम अंकित करा दिए, जो अब पूरी तरह सरकारी रिकॉर्ड में आ गए।

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