किसी की प्राण रक्षा के लिए झूठ बोलना पाप नहीं

जहानाबाद। रतनी फरीदपुर प्रखंड के घेजन गांव में श्याम नारायण सिंह जी की पुण्य स्मृति में उनकी धर्मपत्नी रामकुमारी देवी द्वारा आयोजित श्रीमछ्वागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन साकेत वासी संत श्रीरामयना चार्य जी वेदांती ने समुद्र मंथन के प्रसंग का विस्तार देते हुए बताया कि समुद्र मंथन के समय श्री नारायण का कच्छप, लक्ष्मी, नारायण एवं मोहिनी चार अवतार का प्राकट्य हुआ था । समुद्र मंथन के बाद मोहिनी रूप धारणकर देवताओं को अमृत पान कराते हैं जिसमे राहु केतु छल पूर्वक अमृत का पान कर लेता है जिसे भगवान चक्र सुदर्शन द्वारा गला काट देते हैं ।

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तत्पश्चात कथा को आगे बढ़ाते हुए स्वामी जी महाराज ने कहा कि चार स्थितियों में झूठ बोलने पर व्यक्ति पाप का भागी नही बनता है जैसे विनोद में पत्नी से, किसी की प्राण रक्षा के लिए आदि ।
कथा सरिता आगे बढ़ते हुए वासुदेव देवकी का विवाह संपन्न करवाता है और इसी समय आकाशवाणी होता है कि देवकी के आठवे गर्भ से उत्पन्न संतान कंस के मृत्य का कारण बनेगा । अचानक ही कंस अपनी बहन देवकी के प्रति प्रतिकूल विचारों से प्रेरित हो कालक्रम से देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल देता है । इसी कारागार में भाद्र मास रोहिणी नक्षत्र अष्टमी तिथि को अर्धरात्रि चतुर्भुज भगवान श्री हरि का प्राकट्य होता है । पुन: भगवान बाल रूप लेते हैं, बेड़ियां स्वत: खुल जाती है, कारागार के ताले टूट जाते है, प्रहरी घोर निद्रा में चले जाते है और श्री वासुदेव जी बालकृष्ण को टोकरी में उठा सिर पर लेकर गो़खुला में नंद बाबा के घर चले जाते हैं। वहां से नवजात कन्या को लेकर वापस कंस के बंदीगृह में पूर्ववत आ जाते हैं । इस प्रकार आज लीलाधारी भगवान श्रीकृष्ण का जन्म प्रसंग लीला समधुर गीत संगीत सोहर और बधाईया के साथ संपन्न होता है ।
भगवान के इस रसपूर्ण कथा में पूरे ग्रामीण कड़ाके की ठंड के बाद भी सम्पूर्ण उत्साह और भक्ति भाव के साथ आनन्द सागर में गोते लगा रहे हैं ।
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मुख्य यजमान देवेंद्र कुमार एवं अजय कुमार सपत्नीक ग्रामीणों के सहयोग से आयोजन को मूर्त रूप दे रहे हैं ।
Posted By: Jagran
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