शादी के बहाने होती है मानव तस्करी

नेपाल के तराई व जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से होती है मानव तस्करी

आशुतोष कुमार निराला, संसू, अररिया: जिले में मानव तस्करी करने वाला गिरोह सक्रिय है। नेपाल के तराई क्षेत्रों व जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से मानव तस्करी हो रही है। ऐसे कामों में कई महिलाएं भी संलिप्त है। ऐसे गिरोह के सदस्य सालोभर गांव-गांव घुमते रहते हैं और अपने शिकार की तलाश करते हैं। शिकार मिलते ही वैसे परिवार के नजदीकी रिश्तेदार से संपर्क कर उसे पैसे का प्रलोभन देते हैं कि उनके पास एक अमीर लड़का है जिसके शादी के लिए लड़की चाहिए। उनके रिश्तेदार में तो लड़की है उससे शादी करवा दे और फिर लड़की वाले परिवार को पैसा भी दिया जाएगा साथ ही आपको भी बदले में रुपये दिया जाएगा। झांसे में फंसने के बाद कथित दूल्हा लेकर आते हैं नाटकीय ढंग से शादी कर रातेरात यहां से गायब हो जात हैं। इस दौरान गरीबी की मार झेल रहे परिवार को पैसा मिल जाता है और साथ ही ये संतोष रहता है कि उनकी बेटी अमीर घर में सुख से तो रहेगी। लेकिन एक बार जो लड़की शादी कर जाती है वापस अपने मायके नहीं आती है। उसे शादी कर ले जाने वाले दलाल बेच देते हैं। ऐसे मामले जिले के दर्जनों गांवों में हो चुकी है। इस तरह के थाना तक पहुंचती भी नहीं है। इस संबंध में बाल विवाह और मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाली भूमिका बिहार संस्था की निदेशक शिल्पी सिंह बीते 17 साल से इलाके में ट्रैफिकिग पर काम कर रही है। उनकी संस्था ने कटिहार और अररिया के दस हजार परिवारों के बीच एक सर्वे किया था। जिसमें 142 मामले में दलाल के जरिए शादी की गई थी। वे बताती है कि सबसे ज्यादा ऐसी शादियां उत्तर प्रदेश में होती हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब भी ब्राइड ट्रैफिकिग का केंद्र हैं। शिल्पी का मानना है यहां दलाल स्लीपर सेल की तरह काम करते हैं और वो लगातार संभावित शिकार पर न•ार रखते हैं। जब उन्हें मालूम चलता है कि परिवार मुश्किल में है तो खुद या किसी रिश्तेदार को पैसे देकर झूठी शादी करा देते हैं। बाद में लड़की कहां गई, किसी को मालूम नहीं चलता। वे कहती है कि सबसे दुखद पहली ये है कि ऐसी शादी कराने वालों में ज्यादातर रिश्तेदार ही कड़ी का काम करते हैं उसमें मामी, मौसी आदि शामिल रहती है। वे स्लीपर सेल के चक्कर में फंसती और पैसे के लालच में काम करती हैं। ----
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केस स्टडी-
रानीगंज प्रखंड क्षेत्र अनुसूचित जाति की एक लड़की उत्तर प्रदेश के किसी दलाल को हाथों बेच दिया गया था। इसे संयोग ही कहें कि सूचना मिलने पर कुछ सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने लड़की को ले जाने के क्रम में बरामद कर लिया।
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केस स्टडी दो
पिछले वर्ष ही फारबिसगंज की एक लड़की को बेचने के लिये दलाल लखनऊ ले गये। बाद वहां पुलिस के दवाब में दलाल ने एक माह बाद फारबिसगंज के रेलवे स्टेशन पर लाकर छोड़ा गया।
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तीन वर्षों में जोगबनी होकर पांच दर्जन से अधिक ऐसे मामले सामने आये हैं जिसमे महिला ट्रैफकिग कर रहे दलालों को हिरासत में लेते हुए महिलाओं को नेपाल एनजीओ के हवाले किया गया है। चूंकि ये सभी नेपाल की महिला थी
प्रवीण कुमार,
एसएसबी, प्रभारी, जोगबनी
Posted By: Jagran
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