पटोरी पीएचसी में 17 लाख घोटाले में सात से स्पष्टीकरण

समस्तीपुर। सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने को लेकर मुहिम चला रही। जिले में मेडिकल कॉलेज की नींव भी रखी गई है। वहीं, अस्पतालों में अनियमितताओं की भरमार है। पटोरी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले दिनों 17 लाख रुपये के घोटाला का मामला सामने आया है। सिविल सर्जन डॉ. सियाराम मिश्र ने जेनरेटर सेवा मद में आउटसोर्स सेवा प्रदाता को अवैध तरीके से अधिक भुगतान करने के एवज में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटोरी के तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. बृजनंदन सिन्हा, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. जवाहर साहू, डॉ. सुशील कुमार पूर्वे, लिपिक विनय कुमार सिंह, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विद्यापतिनगर के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मुकुंद मयंक और पटोरी के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मो. फिरदौस आलम से स्पष्टीकरण मांगा है। सीएस ने मेसर्स तमोहा के सेवा प्रदाता को भी काली सूची में डालने व अवैध तरीके से अधिक भुगतान की गई राशि की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई को जवाब तलब करने को कहा है। विदित हो कि दैनिक जागरण ने 16 दिसंबर 2019 को घोटाले से संबंधित खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। मामले में राज्य स्वास्थ्य समिति ने जांच दल गठित कराई थी। टीम ने उक्त सेवा का अंकेक्षण किया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटोरी के जेनरेटर सेवा से संबंधित लेखा अभिलेख लॉग बुक व रोकड़ बही आदि की जांच और साउथ बिहार पावर होल्डिग कॉरपोरेशन लिमिटेड से प्राप्त विद्युत आपूर्ति प्रतिवेदन के आधार पर जेनरेटर सेवा मद में आउटसोर्स सेवा प्रदाता एजेंसी को 17 लाख 14 हजार 753 रुपये का अधिक भुगतान किया गया। इसको लेकर सभी बिदुओं पर सात दिनों के अंदर स्पष्टीकरण कार्यालय को सौंपने को कहा गया है। अभिलेखों की जांच में गड़बड़ी का पर्दाफाश


अवैध भुगतान करने को लेकर जांच टीम ने अभिलेखों की जांच की। इसमें जेनरेटर की लॉग बुक पर परिचालन की समयावधि का सत्यापन किए बिना ही चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर करना, जेनरेटर लॉग बुक में जेनरेटर परिचालन की समय अवधि को बढ़ाकर अंकित करने, विपत्रों की जांच पड़ताल किए बिना ही भुगतान करने, महीने में जेनरेटर परिचालन की समय अवधि को विद्युत आपूर्ति बाधित रहने की समय अवधि में नौ गुना तक विपत्र में प्रभारित करने, लॉग बुक का अनियमित संधारण किया गया। प्रभारी व प्रधान लिपिक पर प्रपत्र-क गठित करने का आदेश जांच टीम ने रिपोर्ट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटोरी में पदस्थापित तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, प्रधान लिपिक एवं स्वास्थ्य प्रबंधकों को दोषी ठहराया। सरकारी कार्य के निर्वहन में लापरवाही, कर्तव्यहीनता, सुनियोजित तरीके से सरकारी राशि के भुगतान में अनियमितता, दुरुपयोग एवं गबन और जेनरेटर सेवा प्रदाता के साथ संलिप्तता व सहभागिता बताई है। इसको लेकर सभी तत्कालीन व वर्तमान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों एवं प्रधान लिपिक से स्पष्टीकरण करने को कहा है। साथ ही, सभी के विरुद्ध प्रपत्र क गठित करते हुए विधिसम्मत अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ करने के लिए विभाग एवं राज्य स्वास्थ्य समिति को रिपोर्ट देने को कहा गया है। वहीं, तत्कालीन एवं वर्तमान स्वास्थ्य प्रबंधकों से भी स्पष्टीकरण की मांग करते हुए उनके विरुद्ध विधिसम्मत अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ करते हुए संविदा समाप्त करने की कार्रवाई करने को कहा गया है।
Posted By: Jagran
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