पौधे का बीज बांटकर पर्यावरण संरक्षण का अलख जगा रहे धर्मेंद्र

अरवल । विज्ञान के बढ़ते प्रभाव से बढ़ रही मानवीय आवश्यकताओं ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। हर किसी में प्रगति के दौर में आगे निकलने की जल्दबाजी दिख रही है। ऐसे मे प्रखंड क्षेत्र के तेर्रा टोला हमीनपुर निवासी होमियोपैथी चिकित्सक धर्मेंद्र पटेल पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर गंभीरता से जुड़ने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।पेशे से चिकित्सक धर्मेंद्र पटेल को होमियोपैथ की पढ़ाई के दौरान पर्यावरण विषय से जुड़ने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि इस विषय से जुड़ने के उपरांत यह एहसास हुआ कि यदि पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में ध्यान नहीं दिया गया तो इस विकसित मानव सभ्यता के सामने गंभीर संकट उत्पन्न हो सकती है। फिर क्या था उन्होंने पर्यावरण तथा स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण नीम, पीपल एवं तुलसी के पौधों को हर जगह घूम घूम कर बाटना शुरु कर दिए । इतना ही नहीं वह लोगों को इन पौधों के महत्व से भी परिचित करा रहे हैं। उनका कहना है कि नीम, पीपल तथा तुलसी के पौधे पर्यावरण को तो संरक्षण प्रदान करता ही है मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। बे बताते हैं कि इन पौधों से समस्त दवाइयों का निर्माण हो सकता है जो कई असाध्य बीमारियों में काम आ सकता है। श्री पटेल ने बताया कि वर्तमान समय में देश में मात्र नौ फ़ीसद वन ही रह गया है। जो पर्यावरण के लिए शुभ नहीं है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरा विश्व चितित है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर कई कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। पर्यावरण के साथ-साथ पशु के संरक्षण की बात भी की जा रही है। लेकिन पक्षियों के संरक्षण के लिए कहीं से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। धर्मेंद्र जी का मानना है कि पक्षियों की संख्या लगातार घट रही है। उसके आहार भी प्रकृति से गायब होते जा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पक्षियों के संरक्षण के लिए बर, पीपल, पाकड़ तथा नीम जैसे वृक्षों को लगाना आवश्यक है। उन्होंने संकल्पित भाव से कहा कि इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए वृक्षारोपण के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे। हालांकि धर्मेंद्र जी का यह कार्यक्रम इतना आसान भी नहीं रहा। शुरुआती दौर में इस समाज के लोगों के ताने भी सुनने पड़े। लेकिन बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़ते हुए आज उनका कारवां काफी बड़ा हो गया है। देश के कई राज्यों में यह अभियान चलाते हुए इस कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। धर्मेंद्र जी का यह जज्बा निश्चित ही पर्यावरण संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। जरूरत इस बात की है कि इनके इस बढ़ते कदम में सरकार का भी सहयोग मिले ताकि एक बडे उद्देश्य से मिशन पर निकले उनके इरादे और भी मजबूत हो सकें। ये जहां भी निकलते विभिन्न बीजो को मिटी में मिला गोली बनाकर उस स्थान पर फेंकते जाते है जहां पानी का स्त्रोत हो। वे कहते है कि यदि मैं 100 स्थानों पर उस गोली को फेंकूंगा तो कम से कम 25 स्थानों पर वह पौधा का रूप लेते हुए एक दिन वृक्ष जरूर बनेगा। एक व्यक्ति को पूरे जीवन मे ऑक्सीजन के लिये 18 पेड़ की आवश्यकता होती है । यदि सभी लोग अपने हिस्से के पेड़ लगा दें तो पृथ्वी खुद व खुद हरा भरा हो जाएगा।


Posted By: Jagran
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