टिस की रिपोर्ट के बाद भी विभाग ने नहीं ली सीख

मधुबनी। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) ने राज्य के कई शेल्टर होम की गड़बड़ियों को उजागर किया था। इस मामले क गूंज देश-दुनिया में रही। यही कारण था कि सरकार ने अपने स्तर से शेल्टर होम को लेकर कई नीतियां तय कीं। खासकर बालिका गृह को लेकर। मगर, जिला बालिका गृह के निरीक्षण के बाद जो स्थिति सामने आई है उससे नहीं लगता कि विभाग ने कोई सीख ली हो। क्योंकि यहां कई तरह की गड़बड़ियां पाई गई हैं। इस आधार पर ही इसे बंद करने का प्रस्ताव भी बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक व डीएम के स्तर से भेजा जा चुका है। इसमें यह कहा गया है कि इसे संचालित करने वाली संस्था परिहार सेवा संस्था का जेजे एक्ट में रजिस्ट्रेशन ही नहीं है। वहीं वर्ष 2018 से रजिस्ट्रेशन का विस्तार भी नहीं किया गया है। निरीक्षण की इस रिपोर्ट से कई सवाल उठने लगे हैं। पहला यह कि बिना जेजे एक्ट के रजिस्ट्रेशन वाले शेल्टर होम में संवासिनों को रखने का निर्णय विभाग कैसे ले रहा। अगर इन किशोरियों के साथ कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। क्योंकि संस्था ने भी बालिका गृह के संचालन का लेकर हाथ खड़ा कर दिया है। वहीं यहां से संवासिनों के कई बार भागने की घटना भी हो चुकी है। मगर, विभाग यहां संवासिनों को रखने का निर्णय लगातार ले रही है।

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विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में यहां आधारभूत संरचना को लेकर कई व्यवस्थों की कमी बताई गई है। कर्मचारियों के प्रबंधन को भी सही नहीं बताया गया है। साथ ही गठित कमेटी को भी त्रुटिपूर्ण कहा गया है। इतनी कमी के बाद भी यहां चार दर्जन के करीब संवासिनों को रखा जाना बयान
'अभी राज्य से बाहर हूं। बालिका गृह बंद करने का प्रस्ताव मधुबनी से मिला है। इस पर शीघ्र ही निर्णय लिया जाएगा।'
राजकुमार, निदेशक समाज कल्याण विभाग व राज्य बाल संरक्षण समिति
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Posted By: Jagran
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