नियमों की अनदेखी पर कॉलेज निरीक्षक व प्रशाखा पदाधिकारी पर शो-कॉज

आरा। शिक्षा विभाग, राज्य सरकार के आदेश के आलोक में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉलेज निरीक्षक डॉ. ओम प्रकाश राय व छात्र कल्याण अध्यक्ष के कार्यालय में कार्यरत प्रशाखा पदाधिकारी उदय शंकर ओझा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस मिलने के सात दिनों के अंदर दोनों को स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। पत्र में विवि प्रशासन द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही गई है। दोनों पर राम किशोर सिंह महाविद्यालय, डालमियानगर, रोहतास को अस्थाई संबंधन वगैर पूरी प्रक्रिया पूरी किये बिना पत्र निर्गत करने का आरोप है। राज्य सरकार ने उक्त कॉलेज को अस्थायी संबंधन इस शर्त के साथ प्रदान किया था कि महाविद्यालय के प्रयोगशाला सु²ढ़ीकरण व सुरक्षित कोष में निर्दिष्ट मापदंडों के अनुरूप अद्यतन तीन लाख 80 हजार रुपये की राशि कुलपति के आदेश से जमा कराना था। लेकिन बगैगर कुलपति के आदेश के कॉलेज द्वारा उक्त राशि को विगत 6 नवंबर 2019 को निर्गत जमा करा लिया गया। उसी दिन सरकार को इस बाबत सूचना भी दी गई। कॉलेज द्वारा जारी पत्र पर प्राचार्य का हस्ताक्षर वास्ते करके किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि एक पदाधिकारी के रूप में सारे तथ्यों को आपके द्वारा कुलपति के संज्ञान में प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। निरीक्षक पर अपने अधीनस्थ प्रशाखा पदाधिकारी से संचिका संधारण में हुए विलंब व उपयुक्त राशि जमा होने के पश्चात अग्रेत्तर कार्रवाई के लिए ससमय संचिका को भेजे जाने के संबंध में स्पष्टीकरण नहीं लिया गया। संचिका पर बिना विचार किये कॉलेज निरीक्षक द्वारा टिप्पणी करके कुलसचिव को भेजा गया है। निरीक्षक की लापरवाही के कारण उच्च न्यायालय में विवि को उलझन का सामना करना पड़ा।

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प्रशाखा पदाधिकारी पर नियमों की अनदेखी करने का आरोप
जागरण संवाददाता, आरा: छात्र कल्याण अध्यक्ष कार्यालय में कार्यरत प्रशाखा पदाधिकारी उदय शंकर ओझा पर राम किशोर सिंह महाविद्यालय को अस्थाई संबंधन देने के लिए पत्र जारी करने में नियमों की लापरवाही करने का आरोप लगाया गया है। इस संबंध में शिक्षा विभाग के उप सचिव अरशद फिरोज ने श्री ओझा से स्पष्टीकरण मांगा है। सरकार द्वारा जारी पत्र में प्रयोगशाला सु²ढ़ीकरण व सुरक्षित कोष में निर्दिष्ट मापदंडों के अनुरूप अद्यतन राशि जमा किये जाने के उपरांत ही अस्थाई संबंधन का पत्र निर्गत करने को कहा गया था। लेकिन बिना जांच के ही आदेश पत्र निर्गत करने का आरोप लगाया गया है। जांच के बाद कुलपति के आदेश से पत्र जारी करना था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। श्री ओझा पर समय से संचिका का संधारण नहीं करने के कारण सरकार के निर्देशों का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है। इसके कारण उच्च न्यायालय के समक्ष विवि प्रशासन को उलझन का सामना करना पड़ा। श्री ओझा को सात दिनों के अंदर जवाब देने का कहा गया है।
Posted By: Jagran
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