पुलिसिया कार्रवाई के डर से अधिकांश पुरुषों ने गांव छोड़ा

आरा। मुफस्सिल थाना के कौशिक दुलारपुर गांव में पुलिस पर हमले के बाद हुई कार्रवाई के बाद ;साइड इफेक्ट'दिखने लगा है।

हालात यह है कि कार्रवाई के डर से अधिकांश पुरुष गांव छोड़कर बाहर चले गए हैं। लोगों में गिरफ्तारी व एक्शन का सीधा-सीधा भय सता रहा है। गांव में प्रवेश करने पर बड़ी मुश्किल से किसी ग्रामीण पर नजर आते है। ज्यादातर घरों के मर्द सदस्य पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए गांव से पलायन कर गए है। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे ही यहां नजर आते है। जिनकी आंखों में डर का खौफ साफ देखा जा सकता है। मुख्य वजह यह हैं कि पुलिस पर हमले के मामले में दर्ज प्राथमिकी में करीब 41 नामजद नामजद समेत 125 अज्ञात को आरोपी बनाया गया है। इसमें 34 को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस ने एफआईआर में 13 अलग-अलग दफाएं लगाई हैं। हमले में संलिप्तत अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। हालांकि, भोजपुर एसपी सुशील कुमार के अनुसार जो लोग दोषी नहीं हैं उन्हें कतई डरने की जरूरत नहीं है। वे आकर हंसी-खुशी गांव में रह सकते है। पुलिस उन्हें तंग नहीं करेगी। दूसरी ओर, गांव के आम ग्रामीण सीधे-सीधे पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगा रहे है। उनका आरोप है कि घरों में जबरन घूसकर बेगुनाहों को पीटा गया और तोड़फोड़ की गई। यहां तक महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। दरवाजे पर खड़े ऑटो से लेकर बाइक को भी क्षतिग्रस्त किए जाने का गंभीर आरोप है। । पुलिसिया डर का आलम है कि गांव के ग्रामीण पलायन अपने सगे-संबंधियों के यहां जाकर शरण लिए हुए है।
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पुलिस का यह हैं गंभीर आरोप
दर्ज प्राथमिकी में नाजायज मजमा बनाकर पुलिस पर हमला करने, जवानों की हत्या करने का प्रयास करने, सरकारी कारबाइन और इंसास रायफल छीनने और पुलिस गाड़ी को क्षतिग्रस्त किए जाने जैसे गंभीर आरोप लगाया गए है। लाठी-डंडा, भाला, लोहे के रॉड से हमला करने का आरोप है। इस दौरान पुलिस पर हमला कर कारबाइन और इंसास रायफल छीने का भी आरोप है। मालूम हो कि मुफस्सिल थाना पुलिस को पन्द्रह की रात गुप्त सूचना मिली थी कि कौशिक दुलारपुर गांव स्थित सुनील यादव घर में अवैध शराब छिपाकर रखा गया है। करीब 85 कार्टन शराब जब्त किया गया था। दो महिलाओं समेत तीन लोग हिरासत में भी लिए गए थे।इस दौरान पुलिस बरामद शराबों को जब्त कर गाड़ी पर लोड कर रही थी तभी धंधेबाजों ने अचानक समूह बनाकर पुलिस टीम पर ईट-पत्थर से हमला बोल दिया था। जिसमें छापेमारी दल में शामिल थानाध्यक्ष ज्योति कुमारी , दारोगा अरविद कुमार, केके सिंह, आनंद कुमार, हवलदार शम्मी आलम ,सिपाही राम इकबाल राय, सिपाही अशोक कुमार,लाल बाबू, कामेश्वर सिंह व चालक रविन्द्र कुमार समेत दर्जन भर पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। इस दौरान हवलदार शम्मी आलम के पास से सर्विस कारबाइन व जिला बल के सिपाही धीरज कुमार के पास से सर्विस रायफल भी छीन लिया गया था। हिरासत में लिए गए आरोपियों को भी जुड़ा लिया गया था। पथराव में पुलिस की बोलेरो गाड़ी, जिप्सी व जिस ऑटो पर जब्त शराब लदा था उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। जब्त शराब भी लूटकर लेते चले गए थे। बाद में पुलिसकर्मियों को जान बचाकर वहां से बधार की ओर भागना पड़ा था
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ग्रामीणों का यह हैं तर्क
कोशिक दुलारपुर गांव के ग्रामीणों का कहना हैं कि जो लोग शराब के धंधे में संलिप्त थे या पुलिस पर हमला किए थे उन पर कार्रवाई किया जाना चाहिए था। लेकिन, पुलिस के जवानों ने बेगुनाहों को घरों में भी घुसकर मारपीट की और तोड़फोड़ किया गया। घरों में खड़ी बाइक और दरवाजे पर खड़े ऑटो को तोड़ दिया गया। साइकिलों को कुएं में डाले जाने का भी आरोप है। तीन दर्जन से अधिक लोगों के साथ मारपीट किए जाने का भी आरोप है। कौशिक दुलारपुर प्रकरण में आरा सदर के राजद विधायक अनवर आलम और बड़हरा के राजद विधायक सरोज यादव पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठा चुके हैं।
सदर विधायक अनवर आलम ने कहा हैं कि बेवजह किसी को इस तरह का पीटना सरासर गलत है। पुलिस को करवाई सिर्फ उस व्यक्ति पर करना था जो पुलिस के साथ गलत दु‌र्व्यवहार और मारपीट किए थे । लेकिन, बेगुनाहों को घरों में घूसकर मारा पीटा गया है।
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अब कोर्ट के चक्कर काट रहे जेल भेजे गए लोगों के परिजन
इधर, कौशिक दुलारपुर कांड में कृष्णा यादव, सरोज यादव, कृष्णा कुमार, वीरेंद्र यादव,संदीप कुमार, सुधीर कुमार, सतीश कुमार, गोरख यादव, कृष्णा, धर्मेंद्र यादव, बृजमोहन यादव, जितेंद्र प्रसाद, संजय कुमार सिंह एवं बलजीत कुमार सिंह, सिपाही प्रधान ,रतन यादव, चंदन यादव, निहोरा यादव, जय बिहारी यादव, रामाकांत सिंह, आशीष कुमार एवं आयुष कुमार, अमरजीत कुमार, हरे राम कुमार, मनीष कुमार, तलेश्वर यादव, पंचरतन यादव, प्रदुमन कुमार, विश्वजीत कुमार सिंह, जितेंद्र प्रसाद यादव, बिरजू मोहन, धर्मेंद्र यादव, शांति देवी, पुतल देवी एवं आशा देवी आदि को जेल भेज चुकी है। जेल गए लोगों के परिजन अब कोर्ट के चक्कर लगा रहे है। ------------
मुख्य आरोपियों समेत अधिकांश चल रहे फरार
दर्ज प्राथमिकी में सुनील यादव, उसके भाई विष्णु यादव, घुरन यादव तथा पिता शिवजी यादव, मुकेश यादव, हरेराम कुमार, निहोरा यादव, रवि प्रकाश, आशीष कुमार, रामाकांत सिंह, अवध बिहारी यादव, मनीष कुमार, छोटू कुमार, चंदन यादव, तारकेश्वर यादव, अमरजीत यादव, आयुष कुमार, शिवजी यादव की पत्नी शांति देवी, कृष्णा यादव, विष्णु यादव की पत्नी पुतुल कुमारी, मुन्ना कुमार की पत्नी आशा देवी, अप्पू यादव की पत्नी चंदोना देवी, उमाशंकर यादव के पुत्र दीपक कुमार, नंदन यादव के पुत्र पंचरतन यादव, बिरेन्द्र यादव के पुत्र बृज मोहन, सुशील यादव के पुत्र कुलदीप कुमार, पारसनाथ यादव के पुत्र जितेन्द्र, रामायण यादव के पुत्र बिरेन्द्र यादव, सुदामा सिंह के पुत्र संजय कुमार, सुरेश यादव के पुत्र सिपाही प्रधान, कृष्णा यादव के पुत्र अमरेन्द्र यादव, सरयू यादव के पुत्र कृष्णा कुमार, जितेन्द्र कुमार यादव के पुत्र सतीश कुमार, सुशील यादव के पुत्र संदीप कुमार, सुबेदार सिंह, कृष्णा यादव के पुत्र सुधीर कुमार, सुदामा सिंह के पुत्र बलजीत कुमार, रुदल यादव के पुत्र सरोज कुमार, जितेन्द्र यादव के पुत्र सुनील कुमार को नामजद आरोपी बनाया गया है। इनमें मुख्य आरोपियों समेत अन्य फरार है।
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बाक्स
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फोटो फाइल
18 आरा 19
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बोले, एसपी , जो लोग दोषी नहीं हैं डरने की जरूरत नहीं
आरा: भोजपुर एसपी सुशील कुमार के अनुसार जो लोग दोषी नहीं हैं उन्हें कतई डरने की जरूरत नहीं है। वे आकर हंसी-खुशी गांव में रह सकते हैं। पुलिस उन्हें तंग नहीं करेगी। पुलिस अभी मुख्य आरोपियों और धंधेबाजों की गिरफ्तारी के प्रयास में लगी हुई है। आम लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। इधर, इस मामले को विधायक समेत कई जनप्रतिनिधियों ने एसपी से बात की है। एसपी ने उन्हें भी आश्वस्त किया है।

Posted By: Jagran
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