राष्ट्रनायक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की बरैल में मनाई गई पुण्यतिथि

जागरण संवाददाता, सुपौल: फ्रेंड्स ऑफ आनंद के तत्वावधान में राष्ट्रनायक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पंचमहला की हृदयस्थली बरैल में समारोह पूर्वक मनायी गई। मुख्य अतिथि पूर्व सांसद लवली आनंद ने महाराणा प्रताप को श्रद्धा सुमन अर्पित कर कहा कि महाराणा प्रताप आजादी और स्वाभिमान के प्रतीक पुरुष थे। जिन्होंने हमें स्वतंत्रता और स्वाभिमान का मतलब और मकसद दोनों समझाया। प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य से मुसीबतों का सामना करना सिखलाया। कृतज्ञ राष्ट्र सदैव उनका ऋणी रहेगा। कहा कि आनंद मोहन जी महाराणा के पदचिन्हों पर चलते रहे हैं। अगर वे स्वाभिमान से समझौता किए होते तो न केवल बाहर होते बल्कि सरकार में होते। 13 वर्ष कोई कम नहीं होता। 12 वर्षों में तो युग बदल जाता है। बहुत हो चुका अब उठिये और आनंद मोहन जी की मुक्ति संघर्ष में साथ दीजिए। फ्रेंड्स ऑफ आनंद के केंद्रीय अध्यक्ष चेतन आनंद ने कहा कि जी कृष्णैया मामले मे मेरे पिता आनंद मोहन जी पूरी तरह निर्दोष हैं। भड़काऊ भाषण को आधार मानकर हजारों क्रुद्ध भीड़ के गुनाहों की सजा एक व्यक्ति को पहले फांसी और फिर आजीवन कारावास कहीं से भी न्यायोचित प्रतीत नहीं होता। जबकि मामले के सभी 36 आरोपी बरी हो चुके हैं। उन्होंने बड़ी संख्या मे लोगों से 30 जनवरी को बापू सभागार पटना पहुंचने और आनंद मोहन जी की रिहाई की लड़ाई मे साथ देने की अपील की। सभा को संबोधित करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष कुलानन्द यादव अकेला ने आनंद मोहन को आधुनिक प्रताप बताते हुए कहा कि आजादी और सम्मान की हिफाजत के लिये प्रताप जंगल-जंगल भटके थे आनंद मोहन जी जेल-जेल भटक रहे हैं। उन्होंने घास की रोटियां खाई थी, आनंद मोहन ने जेल की रोटी खाकर भी 13 वर्षो मे कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। उनकी दोषमुक्त रिहाई समय की मांग है।

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समारोह को संबोधित करते पूर्व सांसद आनंद मोहन के कनिष्ठ पुत्र अंशुमन मोहन ने कहा कि मेरे पिता पर मुकदमा और उनकी सजा दोनों एक स्तरहीन राजनीति का वीभत्स हिस्सा है। उनकी लोकप्रियता से घबराए लोगों ने निर्दोष रहते उन्हें जेल की कठिन यातनाएं भोगने के लिये मजबूर किया। हम भाई-बहनों से हमारा बचपन, मेरी मां से उनका पति, दादी मां से उसका बेटा और समर्थकों से उसका नेता छीन लि । अब हम बच्चे नहीं हैं। होश संभालते ही लोकतंत्र को समझने से ही हमने सिस्टम का असली रूप समझ लिया। हम सरकार को आगाह करते हैं कि जेपी सेनानी, साहित्यकार और जेल में अच्छे आचरण के आधार पर वो उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त करें। वरना भविष्य में उन्हें बड़ी चुनौती का सामना करना होगा। पूर्व में बिपीपा के प्रदेश महासचिव रहे भाई नरेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में संपन्न इस समारोह को भगवान जी पाठक, डॉ एके पोद्दार, जिला युवाध्यक्ष समरेंद्र सिंह, सुमन चन्द आदि ने भी संबोधित किया।
समारोह में आनंद मोहन की रिहाई की आवाज जोर-शोर से उठी। वक्ताओं ने लोगों से उनकी तीसरी नई पुस्तक गांधी के विमोचन में बड़ी संख्या में 30 जनवरी को पटना आने का न्यौता भी दिया। समारोह की सफलता में फ्रेंड्स ऑफ आनंद के नन्हें जी, सुनील सिंह, चंचल, नितिन, मोनू, रिमू, कुंदन, रौशन, रंजन, मनीष, गुड्डू आदि युवा नेताओं की अहम भूमिका रही।
Posted By: Jagran
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