प्रीति सुमन सिर्फ एक नाम नहीं, कामयाबी की मिसाल

सीतामढ़ी। परिहार प्रखंड की बेला मच्छपकौनी गांव की रहने वाली प्रीति सुमन उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो संघर्षों के आगे हार मान बैठते हैं। प्रीति सुमन एक नाम फलक पर चमकते सितारों की तरह हैं, जिन्होंने अमूमन हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का लोहा मनवाया है। वे एक शिक्षिका होने के साथ कवयित्री हैं, अभिनेत्री हैं। फिल्मों व नाटक के क्षेत्र में भी निर्देशन से अपना अलग मुकाम हासिल किया है। अपनी सफलता का श्रेय पिता गजेंद्र मोहन कुमार व मां मंजू रानी को देती हैं।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बिखेरा जलवा
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सावधान इंडिया, क्राइम पेट्रोल, पेशवा बाजीराव, एक था राजा एक थी रानी, मशाल आदि सहायिका निर्देशिका काम कर चुकी हैं। महावीर संकट मोचन हनुमान, अम्मा, एसएन झा के गजबे दुनिया और सब ठीक छै, अरमानों को पंख लगा के आदि में अभिनय किया है। गीतकार के रूप में भी संस्कार चैनल पर अपने जलवे बिखेरे हैं। हिदी, मैथिली व भोजपुरी में दो दर्जन से अधिक उनके गाने रिलीज हुए हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं सुर्खियां बटोरती रही हैं। टेलीविजन चैनल पर वे काव्य पाठ भी करती हैं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के साथ मंच साझा किया है। कई पुरस्कार बटोरे
2018 में तिलक मांझी राष्ट्रीय सम्मान, भागलपुर रंग महोत्सव में निर्देशन के लिए रंग पुष्प सम्मान, सर्व श्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री पुरस्कार, डालमियानगर में द्वितीय चरित्र अभिनेत्री पुरस्कार, नाटक अतिथि देवो भव: में द्वितीय नाट्य लेखन पुरस्कार से नवाजा गया। मुंगेर के बरियारपुर में 2019 में सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेत्री पुरस्कार भी उन्हीं के नाम रहा। इसी के साथ द्वतीय नाट्य लेखन पुरस्कार भी मिला। इनसेट
हर क्षेत्र में बेटियां बजा रही सफलता का डंका
सीतामढ़ी : स्वयं को भी समझाओ, औरों को भी बताओ, जब बेटियां पढ़ेंगी तभी ये दुनिया बढ़ेगी। वात्सल्य विद्यालय (शांतिनगर आइटीआइ चौक) की प्राचार्य नितु सिंह ने ये बातें कही। उनका कहना है कि आज की बालिका जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। चाहे वो क्षेत्र खेल हो या राजनीति, घर हो या उद्योग। एशियन खेलों के गोल्ड मेडल जीतना हो या राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होकर देश सेवा करने का काम हो। देश में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत 2009 से की गई। सरकार ने इसके लिए 24 जनवरी का दिन चुना क्योंकि, यही वह दिन था जब 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थीं। इस अवसर पर सरकार की और से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक बनाने के लिए अनेक आयोजन होते हैं।
Posted By: Jagran
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