राजद विधायक अब्दुल गफूर का निधन, क्षेत्र में शोक

सहरसा। कोसी क्षेत्र के गांधी के रूप चर्चित पूर्व विधायक स्व. परमेश्वर कुंवर के शागिर्द व महिषी के राजद विधायक डॉ. अब्दुल गफूर का निधन मंगलवार की सुबह दिल्ली में हो गया। उनके निधन की सूचना से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गयी। डॉ.अब्दुल गफूर लीवर और किडनी के बीमारी से ग्रसित थे। दिल्ली एम्स के बाद वापस पटना पारस में इलाज कराने के लिए कुछ दिन पहले भर्ती कराया गया था। इसके बाद पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उन्हें बसंत कुंज में लीवर अस्पताल एसएलबीएस एडमिट करवाया था। जहां मंगलवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के समय उनके बड़े पुत्र अब्दुल रज्जाक और एक दामाद मौजूद थे। 1995 में पहली बार बने थे विधायक

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सहरसा जिले के महिषी प्रखंड अंतर्गत तटबंध के भीतर एक छोटे से गांव भेलाही बोहरबा में 1959 को पैदा हुए डॉ. अब्दुल गफूर 1974 में 15 वर्ष की आयु में ही छात्र जीवन में राजनीति में प्रवेश कर गए थे। वो सोशलिस्ट पार्टी के बड़े नेता व समाजसेवी नेता स्वर्गीय परमेश्वर कुंवर के शिष्य के रूप में कार्य कर रहे थे। डॉ. अब्दुल गफूर छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए थे। जिसके बाद उनकी प्रतिभा को देखते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने 1995 में महिषी विधानसभा क्षेत्र से जनता दल का टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। उसके बाद 2000 में भी महिषी के विधायक बने। वर्ष 2005 में निर्दलीय लड़ रहे सुरेंद्र यादव ने डॉक्टर अब्दुल गफूर को हराया। उसके बाद 2005 के उपचुनाव में डॉ. अब्दुल गफूर को सहरसा विधानसभा से राजद ने टिकट दिया। जिसमें संजीव झा ने उन्हें परास्त किया। उसके बाद 2010 से लगातार वह महिषी के विधायक के पद पर थे। वर्ष 2015 में राजद-जदयू गठबंधन में बनी सरकार में वो अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बने। छोड़ गए तीन पुत्र व तीन पुत्री डॉ. अब्दुल गफूर को 3 पुत्र तथा तीन पुत्री है। बड़ा पुत्र अब्दुर्रज्जाक पेशे से इंजीनियर हैं।  वो बेंगलुरू में एक कंपनी में कार्यरत हैं। दूसरा लड़का अब्दुर्रहमान मेडिकल कॉलेज कटिहार में थर्ड ईयर का छात्र हैं। वहीं तीसरा पुत्र अब्दुर रऊफ सीए का छात्र हैं। तीन लड़कियों में दो लड़की की शादी हो चुकी है। विरोधियों के साथ भी था अच्छा वर्ताव उनके निधन पर पूर्व विधायक सुरेंद्र यादव ने शोक जताते हुए कहा कि वो एक महान राजनीतिज्ञ, कुशल समाजसेवी व  एक अच्छे इंसान थे। जो अपने विरोधियों के साथ भी अच्छा बर्ताव किया करते थे। उनको कभी भुलाया नहीं जा सकता।  वहीं पूर्व मंत्री अशोक कुमार सिंह ने दूरभाष पर शोक जताते हुए कहा कि पार्टी ने एक सच्चा कर्मठ सिपाही खो दिया। उनके निधन से एक राजनीतिक शून्य पैदा हो गया है। उनकी कमी हमेशा खलेगी। एक बेहतर इंसान, कुशल राजनीतिज्ञ का दुनिया से चला जाना राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं के साथ-साथ आमलोगों को खेलेगा। ईश्वर उनके स्वजनों को दुख की इस घड़ी में संबल प्रदान करे।
Posted By: Jagran
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