1701 विद्यालयों में से 1201 को ही है रसोई गैस कनेक्शन

सुपौल। शिक्षा विभाग के लचर व्यवस्था का सीधा-सीधा प्रभाव जिले के 31 प्रारंभिक विद्यालयों में पठन-पाठन करने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। जिले के जिन 1701 प्रारंभिक विद्यालयों में एमडीएम योजना संचालित की जा रही है उसमें 1290 विद्यालय को ही एलपीजी गैस का कनेक्शन प्राप्त है। शेष बचे 411 विद्यालयों में से 31 ऐसे विद्यालय हैं जिन्हें अपना न ही किचन शेड है और ना ही गैस कनेक्शन। ऐसे विद्यालयों में एमडीएम योजना के तहत बच्चों का मध्याह्न भोजन लकड़ी या फिर उपला से वर्ग कक्ष के ही किसी कमरा में पकाया जाता है। परिणाम होता है कि मध्याह्न भोजन तैयार होने के दौरान लकड़ी से निकलने वाला धुआं के बीच इन विद्यालयों के बच्चे पठन-पाठन करने को मजबूर हो रहे हैं। दरअसल सरकार ने प्रारंभिक विद्यालयों में एमडीएम योजना को सुचारू व स्वच्छ वातावरण में बनाए जाने के लिए रसोई घरों की सुविधा देने की योजना बनाई थी। लेकिन जिले में 31 विद्यालय ऐसे हैं जिन्हें न तो कोई रसोईघर है और ना ही गैस कनेक्शन। जाहिर सी बात है कि ऐसे विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को एमडीएम के तहत दिए जाने वाला भोजन वर्ग कक्ष में ही बना कर दिया जाता है। जिससे धुंआ के बीच बच्चे पठन-पाठन करने को विवश रहते हैं।


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गैस कनेक्शन रहने के बाद भी लकड़ी से पकाया जाता भोजन
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जिले के जिन 1701 विद्यालयों में एमडीएम योजना संचालित की जा रही है उनमें 1290 विद्यालय को गैस कनेक्शन उपलब्ध है। भले ही विभागीय फाइलों में इन बच्चों का भोजन गैस पर पकाने की बात की जाती हो परंतु जमीनी सच्चाई है कि गैस कनेक्शन रहने के बाद भी बच्चों का भोजन लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इसके पीछे का कारण है कि एक तो समय से गैस उपलब्ध नहीं हो पाता दूसरा कि तेजी से गैस पर भोजन नहीं पकने के साथ-साथ एमडीएम संचालकों को गैस पर भोजन पकाना ज्यादा खर्चीला लगता है। खासकर ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में आसानी से जलावन उपलब्ध हो जाता है। परिणाम है कि जिन विद्यालयों को गैस कनेक्शन उपलब्ध भी है वे विद्यालय में गैस पर खाना नहीं पकाते हैं।
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धुआं रहित वातावरण में एमडीएम बनाने का है निर्देश
इस संबंध में पूछने पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एमडीएम ने बताया कि जिले के 11 प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 31 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें जमीन की अनुपलब्धता के कारण रसोई गैस का निर्माण नहीं हो सका है। इस संबंध में निदेशक एमडीएम को भी पत्राचार कर सूचित किया जा चुका है। रसोईघर नहीं होने की स्थिति में एमडीएम बनाए जाने के संबंध में उन्होंने कहा कि बच्चों को दिया जाने वाला एमडीएम को खुले में नहीं बनाया जाना है। इसलिए विद्यालय के किसी एक वर्ग कक्ष में एमडीएम बनाए जाने का काम किया जा रहा है। ताकि बच्चों को एमडीएम मिल सके। जहां तक गैस कनेक्शन मिलने के बाद भी लकड़ी पर भोजन बनाए जाने की बात है तो यह एक जांच का विषय है। ऐसा करने वाले प्रधानों पर कार्यवाही की जाएगी।
Posted By: Jagran
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