महाशिवरात्रि आज, हर-हर महादेव से गूंजेंगे शिवालय

गोपालगंज : महाशिवरात्रि को लेकर गुरुवार को जिले के सभी प्रमुख शिवालय सजधज कर तैयार हो गए हैं। शुक्रवार को तड़के से ही मंदिरों में जलाभिषेक को भक्तों की भीड़ जमा होगी। महाशिवरात्रि देखते हुए एक दिन पूर्व गुरुवार को पूरे दिन मंदिरों को सजाने संवारने का काम चलता रहा। इस मौके पर जिले के कई स्थानों से भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी।

महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शंकर की पूजा अर्चना का अलग महत्व है। इस दौरान प्रत्येक शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जमा होती है। शुक्रवार को महाशिवरात्रि होने के कारण शहर के तमाम शिव मंदिरों के साथ ही दूर दराज के मंदिरों में भी पूजा अर्चना के साथ ही मंदिरों की साफ सफाई में लोग लगे रहे। शहर के सिनेमा रोड स्थित शिव मंदिर की सफाई का कार्य पूरे दिन चला। अलावा इसके ग्रामीण इलाकों में भी मंदिरों को सजाने व संवारने का सिलसिला चलता रहा। महाशिवरात्रि को लेकर भक्तों का दल गुरुवार को जिले के कई इलाकों से अरेराज स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना तथा जलाभिषेक को रवाना हो गए। प्रशासनिक स्तर पर महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने को देखते हुए तमाम थानों को चौकस रहने का आदेश जारी किया है। ताकि पूजा अर्चना के दौरान किसी भी तरह की समस्या न हो। इसके लिए तमाम शिव मंदिरों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
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पांडवों के साथ जलाभिषेक को आते थे गुरु द्रोणाचार्य
संवाद सहयोगी, हथुआ (गोपालगंज) : महाशिवरात्रि को लेकर हथुआ के प्रसिद्ध बउरहवा शिवमंदिर में जलाभिषेक करने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला गुरुवार को ही शुरू हो गया है। पड़ोसी जिला सिवान से लेकर सीमावर्ती उत्तर प्रदेश से कावंरिया बउरहवा शिवमंदिर में जलाभिषेक करने को पहुंच रहे हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि महाभारत काल से जुड़े इस प्रसिद्ध शिवमंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर जलाभिषेक करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हथुआ से आधा किलोमीटर पश्चिम मछागर पंचायत में स्थित बउरहवा शिवालय आज भी श्रद्धालुओं के लिए अपना विशेष स्थान रखता है। इस मंदिर का इतिहास गुरु द्रोणाचार्य से जुड़ा है। किवदंती के अनुसार द्वापर युग में गुरु द्रोणाचार्य सिवान के दरौली के दोन आश्रम में अपने पाण्डव शिष्यों के साथ रहते थे। दरौली के दोन आश्रम से गुरु द्रोणाचार्य पाण्डवों के साथ प्रत्येक सोमवार को बउरहवा मंदिर आकर जलाभिषेक करते थे। कहा जाता है कि हथुआ राज के जमाने में कई बार इस शिवालय के लिए गुंबदनुमा मंदिर बनाने का प्रयास किया गया। लेकिन दिनभर में बनाया गया गुंबज रात होते ही धराशाई हो जाता था। जिसे देखते हुए मंदिर बनाने का प्रयास छोड़ दिया गया। खुले आसमान के नीचे पीपल के विशाल वृक्ष तले अवस्थित वृहद शिवलिग आज भी श्रद्धा का केंद्र है। हलाकि कुछ वर्ष पूर्व स्थानीय लोगों तथा हथुआ राज के सौजन्य से इस शिवलिग के बगल में मंदिर बनाया गया। यहां आने वाले श्रद्धालु पहले पीपल के वृक्ष तले स्थित शिवलिग पर जलाभिषेक करने के बाद बगल में बनाए गए मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।
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Posted By: Jagran
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