40 फीसद से अधिक गर्भवती महिलाएं घर में देती है बच्चे को जन्म

- जागरुकता के अभाव में संस्थागत प्रसव में पिछड़ रहा जिला

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कोट - जागरुकता की कमी व नदी पार गांव होने के कारण घरों में प्रसव कराया जा रहा है। इसका अनुपात टेढ़ागाछ, दिघलबैंक और पोठिया प्रखंड में सबसे ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में प्रसव कराने को लेकर गंभीर बनी हुई है। आशा के माध्यम से लोगों को जागरूक कर प्रसूता को अस्पताल लाने का प्रयास किया जाता है। - विश्वजीत कुमार, डीपीएम, जिला स्वास्थ्य समिति किशनगंज।
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संवाद सहयोगी, किशनगंज : संस्थागत प्रसव के मामले किशनगंज जिला पिछड़ा रहा। यहां 40 फीसद से अधिक प्रसव अब भी घरों में कराया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में भी लगातार यह मामला उठाया जाता रहा लेकिन संस्थागत प्रसव की दर में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। जबकि इसे बढ़ावा देने को लेकर मातृत्व वंदना योजना को लेकर जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार घरों में प्रसव कराने का मुख्य कारण जिले के कुछ पंचायतों का नदी के पार होना एवं जागरुकता की कमी है। इसके अलावा घरों में पुरुष का नहीं होना भी मुख्य कारण है। गांव में रहने वाले अधिकतर लोग रोजी-रोटी कमाने दूसरे राज्यों में जाते रहते हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर घर की महिलाएं घरों में ही दाई से प्रसव कराने का निर्णय लेती है। जो कि जच्चा और बच्चा दोनों के लिए घातक होता है। इसके अलावा महानंदा, मेंची, कनकई, बूढ़ी कनकई, रेतुआ अन्य नदियों से घिरे गांवों के लोगों को अस्पताल पहुंचने का कोई साधन नहीं होना व जागरुकता की कमी के कारण भी घरों में प्रसव कराने का परिजन निर्णय लेते हैं। सात प्रखंडों वाले जिले के तीन ऐसे प्रखंड हैं, जहां पर सबसे अधिक प्रसव घरों में कराए जाते है। इनमें पोठिया, दिघलबैंक और टेढ़ागाछ शामिल है। 
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प्रोत्साहन के लिए सरकार चला रही प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना
प्रधानमंत्री मातृत्व योजना गर्भवती महिलाओं की अच्छी देख रेख के उद्देश्य से चालू की गई है। गर्भवती महिलाओं को और उनके परिवार को जागरूक करने के लिए यह योजना शुरू की गई है। जिसमें गर्भवती महिला को गर्भधारण से लेकर शिशु के जन्म तक  में छह हजार रुपये दिए जाते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिलाओं को उचित पोषण सेहत से संबंधी जानकारी भी दिए जाने का प्रावधान है। जननी और बच्चे की सही देखभाल के लिए आर्थिक मदद सरकार द्वारा दी जा रही है।
Posted By: Jagran
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