अभियान:::शौचालय::नहीं बदली सोच, खुले में जाते शौच

विमल भारती, संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल): स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों के घर-घर शौचालय बनने के बाद भी लोग खुले में शौच को जाते हैं। पदाधिकारी स्तर से बार-बार प्रयास के बाद भी लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं हो पा रहा है।

सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड के 1 लाख 22 हजार से अधिक आबादी के लिए कुल 19684 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया था। उसमें से 18824 लोगों के घर शौचालय बना दिए गए। स्वच्छ भारत मिशन के प्रखंड कार्यालय के प्रखंड समन्वयक सीताराम ठाकुर ने बताया कि बनाए गए शौचालय में से 15486 का जियो टैग भी कर दिया गया। आंकड़ों के अनुसार 12753 लोगों को शौचालय के अनुदान की राशि भी दे दी गई। शौचालय मद में भुगतान का प्रतिशत फिलहाल 71.91 है। सरकार ने प्रति शौचालय 12000 रुपये अनुदान दिया है। सरकार द्वारा इतनी बड़ी राशि शौचालय निर्माण पर खर्च के बाद भी हजारों ऐसे लोग अभी भी हैं, जो खुले में शौच जा रहे हैं।
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आंकड़े बोलते हैं
आंकड़े बताते हैं कि छिटही हनुमाननगर पंचायत में 2575 लक्ष्य के विरुद्ध 1859 लोगों को अनुदान राशि मिल गई। लौकहा पंचायत में 1744 लक्ष्य के विरुद्ध एक 1170 लोगों को अब तक लाभ मिल चुका है। झिल्ला-डुमरी पंचायत में 2380 लक्ष्य के विरुद्ध 1876 लोगों को अनुदान लाभ मिल गया है। शाहपुर-पृथ्वीपट्टी में 1850 के विरुद्ध 1406, पिपराखुर्द में 1851 के विरुद्ध 1176, भपटियाही में 1769 के विरुद्ध 1174, मुरली में 1464 के विरुद्ध 994, चांदपीपर में 1133 के विरुद्ध 844, लालगंज में 1636 के विरुद्ध 1291, सरायगढ़ में 2028 के विरुद्ध 1087, ढोली में 458 के विरुद्ध 304 बनैनिया में 796 के विरुद्ध 356 लोगों को राशि का भुगतान हो चुका है। अनुदान की बकाया राशि के भुगतान के लिए कार्यालय स्तर से लगातार कार्य किया जा रहा है और उधर संबंधित लाभुक कार्यालय का चक्कर भी लगा रहे हैं लेकिन इतने शौचालय बनने के बाद भी प्रत्येक गांव में सैकड़ों की संख्या में लोगों का खुले में शौच जाना बड़ा सवाल बनता जा रहा है।
इस प्रखंड क्षेत्र में शौचालय निर्माण की दिशा में सबसे तेज गति से कार्य छिटही हनुमाननगर पंचायत में कराया गया। सरकारी स्तर से वर्तमान में सभी पंचायत ओडीएफ घोषित है। मतलब कि प्रखंड पूर्ण रूप से खुले में शौच से मुक्त हो चुका है लेकिन सच्चाई यह है कि कम से कम एक चौथाई आबादी प्रतिदिन खुले में शौच जाती है वे अपने शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं।
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मानसिकता बदलने के लिए नहीं हो रहा कार्य
खुले में शौच जाने से होने वाली परेशानियां से लोगों को अवगत कराने के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किए जा रहे। कुछ माह पूर्व प्रखंड स्तर के पदाधिकारी द्वारा सुबह शाम सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचकर लोगों को खुले में शौच जाने से रोकने का कार्य किया गया था लेकिन पदाधिकारी के इस कार्य पर जगह-जगह से उठे सवाल के बाद उस पर विराम लगा दिया गया। हालात यह है कि लोगों के घर शौचालय है सरकार से अनुदान राशि भी ले चुके हैं लेकिन मानसिकता में बदलाव नहीं होने के कारण लोग खुले में शौच जाने को आदी हैं। कोसी के इलाके में तो अभी भी अधिकांश परिवार के लोग खुले में ही शौच जाते हैं।
Posted By: Jagran
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