कुशीनगर में आकर्षण का केंद्र बनी हथुआ राज की शाही बग्घी

गोपालगंज : भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जिले के हथुआ राज की शाही बग्घी लोगों के आकर्षण की केंद्र बनी रही। मौका था कुशीनगर में पवित्र बुद्ध धातु शोभायात्रा कार्यक्रम का। इस शोभा यात्रा में शाही बग्घी पर सवार होकर हथुआ राज के महाराजा महाराजा मृगेंद्र प्रताप साही, महारानी पूनम साही, युवराज कौस्तुभ मणि प्रताप साही व युवरानी विदिशा साही भी शामिल हुईं। दरअसल इस शोभायात्रा के लिए जिस बुद्ध धातु अवशेष को रथ पर रखकर घुमाया जाता है, वह धातु अवशेष साल 1898 में कपिलवस्तु की पुरातात्विक खुदाई में मिला था। उस वक्त के तत्कालीन गवर्नर कर्नल पेपे ने हाई महाराजा पंचम को यह धातु उपहार स्वरूप दिया था जो रॉयल पैलेस बैंकॉक में सुरक्षित रखा गया था। थाईलैंड के 9 वें राजा भूमिबोल अतुल्यदेव की पुत्री महाचक्रीय शिरोधार्य ने साल 2005 में धातु और शेष को थाईलैंड से लाकर कुशीनगर में स्थापित किया था । तभी से हर साल कुशीनगर में पवित्र बुद्ध धातु शोभा यात्रा निकाली जाती है। इस शोभा यात्रा में हथुआ राज के महाराज के राजसी अंदाज में शामिल होने की परंपरा चली आ रही है। इस बार हथुआ राज के महाराज मृगेंद्र प्रताप साही, महारानी पूनम साही, युवराज कौस्तुभ मणि प्रताप साही व युवरानी विदिशा साही भी दो शाही बग्घी पर सवार होकर इस शोभा यात्रा में शामिल हुए। शोभायात्रा में भगवान बुध की पवित्र धातु अवशेष रथ पर रखकर थाई मोनेस्ट्री से महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर ले जाया गया तथा तथागत के लेटी हुई प्रतिमा के समक्ष विशेष पूजा हुई। इस मौके पर थाईलैंड से आए कलाकारों ने सांस्कृति कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। शोभा यात्रा में हथुआ मैनेजर एस एन शाही, संजय कुंवर, अतुल कुमार सिंह, कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष भंते एबी ज्ञानेश्वर, प्रो. ग्रेथ, डॉ. पी कॉम सांग, पी सोम्पोन्ग, भंते महेंद्र सहित काफी संख्या में बौद्ध भिक्षु व उपासिका शामिल रहीं।

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Posted By: Jagran
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