स्टोरी ऑफ द डे::::गिद्धों को लगी कीटनाशक की गिद्धदृष्टि

-कोट

-रसायन व कीटनाशक के प्रयोग का खामियाजा मानव के साथ-साथ जीव-जंतु तक को भुगतना पड़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भूमिका निभाने वाले गिद्धों के विलुप्त होने का कारण भी खेतों में कीटनाशक दवाओं का अधिक से अधिक प्रयोग है। अगर हम नहीं संभले तो आने वाला समय और वीभत्स रूप में सामने आएगा।
भगवानजी पाठक
पर्यावरणविद्
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मिथिलेश कुमार, सुपौल: रसायन और कीटनाशकों के बलबूते धरा के दोहन और शोषण का खामियाजा वीभत्स रूप में हमारे सामने आ रहा है। खेतों में रसायन व कीटनाशक का अंधाधुंध प्रयोग न केवल खेतों की उर्वरा शक्ति में ह्रास ला रहा, बल्कि इसके प्रयोग का असर पर्यावरण संकट के रूप में भी दिखने लगा है। नतीजा है कि कई ऐसे जीव व वन्य प्राणी विलुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे ही जीवों में एक जीव गिद्ध भी है जो आज विलुप्ति के कगार पर है।
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पर्यावरण संरक्षण में गिद्धों की है अहम भूमिका
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई जीव-जंतु व वन्य प्राणियों का भी सहयोग रहता है। गिद्ध भी उन्हीं में से एक है। माल-मवेशी के मरने के बाद जब उसे फेंक दिया जाता था तो गिद्ध ही उसका मांस नोच-नोचकर खाते थे और पर्यावरण संरक्षण में भूमिका निभाते थे। अगर गिद्धों की भूमिका नहीं रहती तो कई-कई दिनों तक मरे मवेशियों के अवशेष बचे रहते, उससे दुर्गंध उठता जो पर्यावरण संरक्षण दिशा में कहीं से भी उचित नहीं था, कितु पर्यावरण संरक्षण में भूमिका निभाने वाले इन गिद्धों पर भी कीटनाशक की गिद्ध दृष्टि पड़ गई। खेतों से अधिक से अधिक उत्पादन लेने की होड़ में हमने रसायन और कीटनाशक को बढ़-चढ़कर महत्व डे डाला। तत्काल उत्पादन में तो वृद्धि नजर आई पर यह वृद्धि भविष्य के लिए खतरे का संकेत है। इन्हीं कीटनाशक के बलबूते उत्पन्न अन्न का सेवन करनेवाले मवेशियों के मरने पर उसका मांस खाने वाले गिद्ध आज विलुप्त होने की कगार पर हैं।
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बढ़ गया है कीटनाशकों का उपयोग
बाजारों में उत्पादन बढ़ाने के लिए रसायन और कीटनाशक का प्रयोग बढ़ चला है। अमूमन हर खाद व कीटनाशक की दुकानों पर कीटनाशक उपलब्ध रहता है जिसे लोग खरीदकर अपने खेतों में डालते हैं और उपज बढ़ाते हैं। इन कीटनाशकों का खामियाजा आमलोगों को उठाना पड़ रहा है। आज कोई भी फसल कीटनाशक से अछूती नहीं। खासकर सब्जियां तो कीटनाशक के बलबूते ही उगाई जाती हैं। अब मानव शरीर पर इसका क्या असर होता होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। स्थानीय बाजारों में कीटनाशक के की अच्छी-खासी मांग है।
Posted By: Jagran
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