कोसी के थपेड़ों के बीच नित्य नये रूप में दिख रहा सुपौल

मिथिलेश कुमार, सुपौल : सुपौल अनुमंडल का इतिहास लगभग दो सौ साल पुराना है। जब देश में अंग्रेजी हुकूमत थी उस वक्त भी सुपौल एक अनुमंडल की हैसियत में था। कोसी के कछेर में बसे इस शहर ने कोसी के थपेड़े सहते अपने वक्त गुजारे हैं। आज कोसी की इस उपेक्षित धरती पर भी विकास की गाथा लिखी जा रही है। सुपौल का हो विकास यह आम जनमानस की परिकल्पना थी। इसके लिये सरकार की उपेक्षा से क्षुब्ध शहर के नागरिक जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलित हो उठे थे। गजब की एकजुटता दिखाई थी सुपौल के लोगों ने। 14 मार्च 1991 को सुपौल को जिला का दर्जा मिला। फिर क्या था रोज नये रूप में दिखने लगा सुपौल। सड़कों का जाल सा बिछ गया, कोसी पर महासेतु तो कोसी वासियों के लिये नई जिदगी ही दे गया है। हालांकि कोसी पीड़ितों व विस्थापितों की सुधि इतने लंबे अंतराल बाद भी नहीं ली गई। कोसी विकास प्राधिकार फाइलों तक ही रह गया। आज भी नहीं खुल पाए हैं कई जरूरत के कार्यालय और नहीं हो सका है कई कार्यालयों को अपनी जमीन व अपना मकान। जिले के विकास के फेहरिस्त की लंबी कड़ी है। जिला बनने के बाद जिले में टीशू कल्चर लैब, एएनएम-जीएनएम स्कूल, एसएसबी ट्रेनिग सेंटर, महिला आइटीआइ, इंजीनियरिग कॉलेज के साथ-साथ कई विकासात्मक योजनाएं पूरी होने की ओर अग्रसर हैं। वर्षो से उपेक्षित इस रेलखंड का आमान-परिवर्तन हुआ और सुपौल रेलवे स्टेशन तक बड़ी लाइन की गाड़ी पहुंच रही है। सुपौल से आगे सरायगढ़ तक सीआरएस का कार्य पूरा हो चुका है। जल्द ही गाड़ियों के परिचालन के आसार हैं। सरायगढ़ से आगे आसनपुर कुपहा तक आमान-परिवर्तन का कार्य लगभग पूरा हो चला है। इससे इतर सुपौल से अररिया-गलगलिया नई रेलवे लाइन कर स्वीकृति हुई है और इसको लेकर भूमि अधिग्रहण का कार्य सुपौल जिले में लगभग पूरा हो चुका है। 2020 में सुपौल जिले को दो आरओबी का भी तोहफा मिला है। एक आरओबी जिला मुख्यालय स्थित लोहियानगर चौक पर तथा दूसरा सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड में बनेगा। इस आरओबी को लेकर शिलान्यास का कार्य पूरा हो चुका है। भारत माला प्रोजेक्ट के तहत भी जिले को कई एनएच का तोहफा मिलने जा रहा है। कोसी नदी पर बनने वाला देश का सबसे बड़ा पुल सुपौल जिले में ही बनना है। 10.27 किमी लंबा इस पुल का काम शुरू हो गया है। सुपौल वह सौभाग्यशाली जिला है जिस होकर छह-छह राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरती है।

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जानें इसे भी
-1870 में बना था अनुमंडल
-1870 में ही हुई थी सब्सिडीयरी जेल की स्थापना
-1872 में स्थापित हुआ सुपौल थाना
-1875 में लोअर एवं मिड्ल स्कूल नाम का सबसे पुराना विद्यालय
-1884 में भी कोसी में दौड़ती थी रेल
-1884 में हुई पब्लिक लाइब्रेरी एंड क्लब की स्थापना
-1890 में खुला सुपौल डाकघर
-1891 में बना निबंधन कार्यालय
-1898 में हुई विलियम्स मल्टीपरपस हाईस्कूल की स्थापना
-1900 ई. के आसपास एक बड़ा चर्च विलियम्स मैदान के समीप था जो 1940 की बाढ़ में विलीन हो गया
-1911 में सुपौल में बनी थी यूनियन कमेटी, 1928 में यह बोर्ड में तब्दील हो गया
-1913 में वाल्स हास्पीटल नाम से हुई अस्पताल की स्थापना
-1920 में हुई पशु चिकित्सालय की स्थापना
-1930 में खुला कांग्रेस कार्यालय
-1934 में ध्वस्त हो गई थी रेल लाइन
-1940 में बना था गजना पर रिग बांध
-1943 में हुई थी मिथिला पुस्तकालय की स्थापना
-1951 में हुई राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला कमेटी की स्थापना
-1952 में हुई व्यापार संघ की स्थापना
-1952 में ही खुला जनसंपर्क विभाग का कार्यालय
-1953 में बना को-ऑपरेटिव यूनियन
-3 फरवरी 1955 को तटबंध की नींव रखने आए थे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद
-1954 में हुई बबुजन विशेश्वर बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना
-विलियम्स उच्च विद्यालय में ही प्रारंभ किया गया था सुपौल का पहला कॉलेज
-1956 में हुई बिजली बोर्ड की स्थापना
-1959 में सुपौल को अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया गया
-1960 में खुला को-ऑपरेटिव बैंक
-1961 में बीएसएस कालेज का बन गया अपना भवन
-1962 से लगता है सुपौल में मवेशी हाट
-1974 में हुई मुंसिफ कोर्ट की स्थापना
-1974 में खुला जेसीआइ का कार्यालय
-1987 में हुई जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थापना
Posted By: Jagran
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