इस लाइब्रेरी में मानव होंगे बुक, बच्चों में बांटेंगे ज्ञान

बक्सर : लाइब्रेरी का नाम सुनते ही दिमाग में किताबों की याद ताजा हो जाती है। वो किताबें जिनसे हम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन, किताबों से आप सवाल नहीं पूछ सकते। अब सोचिए आपकी लाइब्रेरी में अगर ऐसी किताब रहे जो आपके सवालों का भी जवाब दे सकें और जिनसे आप अपने मन में उठने वाले सवाल पूछ सकें तो आपको कैसा लगेगा। असल में, इस तरह की किताबें जिन्हें हम ह्यूमन बुक कहते हैं मानव पुस्तकालय या ह्यूमन लाइब्रेरी में रहती हैं। ऐसे ही ह्यूमन लाइब्रेरी की स्थापना बक्सर में भी होने जा रही है। जिले में इसका कांसेप्ट लेकर आए हैं मध्य बिहार ग्रामीण बैंक के एक पूर्व अधिकारी प्रमोद कुमार पांडेय।

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सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी सह आदिनाथ इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक श्री पांडेय कहते हैं इस लाइब्रेरी से वह विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के आयाम गढ़ने वाले जिले के लोगों को जोड़ेंगे और बीच-बीच में उन सफलतम व्यक्तियों से बच्चों को मुखातिब कराएंगे। उन्होंने बताया कि इस लाइब्रेरी में शामिल ह्यूमन बुक या यूं कहें कि लाइब्रेरी के सदस्य अपने अनुभवों, अपनी कठिनाइयों एवं अपनी सफलता के राज भी बच्चों के साथ शेयर करेंगे। सबसे बड़ी बात कि बच्चे उन सफलतम व्यक्तियों से सवाल भी पूछ सकते हैं। बच्चे लाइब्रेरी के सदस्यों से यह जान सकते हैं कि उन्होंने अपनी तैयारी कैसे की, कैसे सफलता के आयाम गढ़े और सफलता की बुलंदियों को उन्होंने कैसे स्पर्श किया। अप्रैल के पहले सप्ताह में इसका शुभारंभ किया जाएगा।
कार्यरत एवं सेवानिवृत्त दोनों रहेंगे शामिल, निश्शुल्क मिलेगा ज्ञान
इस ह्यूमन लाइब्रेरी में विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के आयाम गढ़ने वाले वर्तमान में कार्यरत एवं सेवानिवृत्त दोनों तरह के लोगों को शामिल किया जाएगा। वे बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान देंगे। श्री पांडेय बताते हैं, जो सफलता के आयाम गढ़ चुके हैं वे अपने अनुभवों को शेयर करेंगे और जो वर्तमान में कीर्तियां स्थापित कर रहे हैं, वे भी अपने अनुभव बच्चों के साथ साझा करेंगे। बच्चों को इससे प्रेरणा मिलेगी और वे भी उनके रास्ते पर चलकर अपने भविष्य को आका दे सकेंगे।
वर्ष 2000 में शुरू हुई थी पहली ह्यूमन लाइब्रेरी
दुनिया में पहली ह्यूमन लाइब्रेरी साल 2000 में डेनमार्क में शुरू हुई थी। तब वहां के एक युवा रोनी एबेरगेल ने अपने भाई और दोस्तों के साथ मिलकर इस विचार को मूर्त रूप दिया था। इसका मकसद था 'इंसानी किताबों' के अनुभव का इस्तेमाल एक बेहतर दुनिया बनाने में करना। बताया जाता है कि धीरे-धीरे यह विचार इतना लोकप्रिय हुआ कि दुनिया में कई जगहों पर ह्यूमन लाइब्रेरियां बनने लगीं। बताया जाता है कि ऑस्ट्रेलिया ऐसा पहला देश है जहां एक स्थायी ह्यूमन लाइब्रेरी है।
Posted By: Jagran
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