बुजुर्गो से सीखें, संयम और संकल्प से कोरोना को हराएं

मधुबनी। पहले संक्रामक बीमारी से एक गांव व एक खास क्षेत्र ही प्रभावित होता था। मगर, कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया में तबाही मच गई है। सरकार का लॉकडाउन करने का निर्णय सही है। कोरोना वायरस के संक्रमण से आपको संयम से ही बचा सकता है। कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए समाज के प्रबुद्ध वृद्ध लोगों ने कहा कि पहले हैजा, प्लेग, टीबी संक्रामक बीमारी से हजारों लोग असमय काल कवलित हो जाते थे। उस समय वर्तमान जैसी चिकित्सिकीय सुविधा नहीं थी। फिर भी लोग संयम से इसका मुकाबला करते थे। बेनीपट्टी के पूर्व प्रमुख नित्यानंद झा (78) ने कहा कि आजादी से पहले व बाद में हैजा, प्लेग जैसी बीमारी से हमने हजारों को मरते देखा है। परंतु, कोरोना जैसे विनाशक की बात नहीं सुनी थी। इसको लेकर सरकार का कदम बिल्कुल सही है। लॉकडाउन से कोरोना वायरस से बचाव होगा। पहले हैजा, कॉलरा व प्लेग एवं डायरिया जैसे बीमारी से गांव व इलाका परेशान रहता था। कोरोना पर काबू पाये जाने की दिशा में लोगों को बाहर नहीं निकलें। सामाजिक स्तर पर कोई कार्यक्रम नहीं करें।

चंद्रनाथ झा (82) ने कहा कि पहले ऐसी बीमारी नहीं थी। डायरिया, हैजा, मलेरिया बीमारी होती थी। मगर, कोरोना वायरस का संक्रमण खतरनाक है। कोरोना से विश्व में परेशानी उत्पन्न हो गई है। लॉकडाउन का सरकार के फैसला सही है।
रानीपुर मतरहरी गांव के ताराकांत झा (90) कहते हैं कि पहले इस तरह की महामारी नहीं थी। कोरोना संक्रमण से लोगों दहशत में हैं। वे अपने जमाने में इस तरह का वायरस वाली कोरोना का नाम नहीं सुना था। पहले टोला, गांव में महामारी होती थी। लेकिन, अब कोरोना संक्रमण जैसे महामारी दुनिया को चपेट में ले लिया है। जो गंभीर चिता का विषय है।
बेनीपट्टी गांव की सरस्वती देवी (72) कहती हैं कि पहले ऐसी महामारी वाली बीमारी नहीं थी। उनके जमाने में लोग चिकनी मिट्टी से बाल साफ करते थे। पहले बीमारी से गांव व टोला तबाही होती थी। लेकिन कोरोना वायरस जैसे बीमारी पहली बार सुने हैं। जो देश व दुनिया में तबाही मचा रखी है। सरकार सही कर रही है। लोगों को घर में रहने व बाहर नहीं निकलने एवं सतर्कता बरतने से इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है।

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