त्रेता युग की रामायकालीन इस घटना से संसार आज तक न जाने क्यों है वंचित आप भी जाने

महाराज दशरथ ने अपनी पुत्री को अंग देश के राजा रोमपद को सौंप दिया था। क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी। श्रीराम की बहन शांता का विवाह ऋषि ऋग से हुआ था।

ऋषि ऋग ने ही बाद में पुत्र प्राप्ति का यज्ञ महाराजा दशरथ को कराया था। जिससे उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

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